राम मंदिर का मुद्दा एक बार फिर ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है. एक तरफ विश्व हिंदू परिषद ने चुनाव तक इस मामले में कोई कार्रवाई न करने का ऐलान किया है, वहीं अब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी कुछ ऐसा ही कहा है. उन्होंने कहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद चाहे कोई भी सरकार बने संघ मंदिर निर्माण शुरू कर देगा. यानि फिलहाल चुनाव तक मंदिर मुद्दे पर शोर नहीं मचने वाला है.
वीएचपी ने भी किया था ऐलान
इससे पहले मंदिर मुद्दे को लेकर बड़ी धर्मसभाओं का आयोजन कर चुकी विश्व हिंदू परिषद ने भी चुनाव तक मंदिर मुद्दे पर कुछ भी न करने की बात कही थी. वीएचपी की तरफ से कहा गया था कि लोकसभा चुनाव तक वो मंदिर निर्माण की बात नहीं करेंगे. चुनाव के बाद इस पर फैसला होगा.
कहीं फिर से 5 साल तक न टल जाए मुद्दा
राम मंदिर को लेकर विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस कई बड़े दावे कर चुके हैं. पहले सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश हो रही थी कि इसके लिए जल्द कोई बड़ा फैसला लिया जाए. लेकिन अब अचानक से मंदिर मुद्दे पर इन संगठनों का यू टर्न कई सवाल खड़े करता है.
क्या फिर से राम मंदिर का मुद्दा अगले लोकसभा चुनावों तक ठंडे बस्ते में चला जाएगा? क्या कई सालों से चली आ रही परंपरा की तरह इस बार भी बस ये एक चुनावी मुद्दा रह जाएगा? इन सभी सवालों के जवाब अब लोकसभा चुनाव के बाद ही मिल पाएंगे.
धर्म संसद के मुताबिक होगा मंदिर निर्माण
उत्तराखंड के देहरादून में मोहन भागवत संघ के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे. जहां उन्होंने मंदिर मुद्दे पर भी बात की. उन्होंने कहा कि प्रयागराज में हुई धर्म संसद के मुताबिक ही मंदिर का निर्माण कियाा जाएगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक कार्यक्रम में मौजूद आरएसएस नेता ने बताया कि भागवत ने कहा है चुनाव के बाद कोई भी सरकार सत्ता में आए, संघ सभी धर्मगुरुओं के साथ मंदिर निर्माण करेगा.
जरूरतमंद तक पहुंचे आरक्षण का लाभ
मोहन भागवत ने इस मौके पर आरक्षण का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, आरएसएस आरक्षण का विरोध नहीं करता है, लेकिन आरक्षण का लाभ सभी जरूरतमंदों तक पहुंचना चाहिए. इसका आधार धर्म और जाति नहीं होना चाहिए.
चुनाव से पहले बंद होगा मंदिर राग
भले ही विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस मंदिर पर लोकसभा चुनाव तक शांत बैठने की बात कर रहे हों, लेकिन क्या बीजेपी की चुनावी रैलियों में मंदिर राग गाना बंद हो पाएगा. क्योंकि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह अपनी हर दूसरी रैली में मंदिर वहीं बनेगा बोलकर तालियां बटोरने का काम कर रहे हैं. इसके साथ ही विपक्षी पार्टी कांग्रेस पर भी मंदिर के बहाने निशाना साधा जा रहा है. चाहे कुछ भी हो, मंदिर फिलहाल चुनावी मुद्दा बना हुआ है, देखना यह होगा कि केंद्र सरकार कोर्ट के फैसले का इंतजार करती है या फिर कोई नया तरीका अपनाया जाएगा.
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