उत्तर प्रदेश में रहस्यमयी बुखार के चलते प्रदेश सरकार ने हाई अलर्ट जारी कर दिया है. इस बुखार ने पिछले डेढ़ महीने में 84 लोगों की जान ले ली है. सबसे ज्यादा मौतें बरेली जिले में हुई हैं. वहां अब तक इस बुखार के चलते 24 लोगों के मरने की खबर सामने आई है.
बदायूं में इस बुखार से मौत का आंकड़ा 23 है. इसके अलावा हरदोई और सीतापुर जिलों में भी इस बुखार के चलते मौत हुई हैं.
सूबे का स्वास्थ्य मंत्रालय पहले ही बुखार की वजह से होने वाली मौतों की जांच का आदेश दे चुका है. कुछ मामलों में लोगों को मलेरिया फेलसिफेरम की चपेट में पाया गया है. ये साधारण मलेरिया से घातक और जानलेवा साबित होता है. प्रदेश के स्टेट सर्विलांस ऑफिसर डॉ. विकास कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी. उनके मुताबिक, इस बुखार का सबसे ज्यादा प्रभाव बरेली और बदायूं में है, जहां पिछले एक सप्ताह में इस बीमारी के 650 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं.
बरेली सबसे ज्यादा प्रभावित जिला है, इस लिहाज से स्वास्थ्य विभाग की 192 टीमों को लगाया गया है. यहां 10 ब्लॉकों के 150 गांव इस बीमारी की चपेट में हैं.
बदायूं में विभाग की 62 टीमों को लगाया गया है. यहां 164 गांव इस बीमारी से प्रभावित हैं. शाहजहांपुर में 92 गांव प्रभावित हैं. यहां 42 टीमों को लगाया गया है. सीतापुर में 16 गांव प्रभावित है.यहां 35 टीमों को लगाया गया है.
प्रदेश के हरदोई में 169 गांव प्रभावित है, जहां 48 टीमों को लगाया गया है. वहीं बहराइच में 12 गांव सर्वाधिक प्रभावित हैं, यहां 7 टीमें काम कर रही हैं.
बुखार की वजह से हो रही मौतों पर काबू पाने के मामले सरकार क्यों विफल हो रही है? इस सवाल का जवाब देते हुए सूबे के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि ज्यादातर लोग शुरुआती इलाज के लिए नीम-हकीमों के भरोसे बैठे रहते हैं, जब तबीयत ज्यादा बिगड़ जाती है, तो अस्पताल की तरफ दौड़ते हैं. उन्होंने लोगों से अपने बीमार रिश्तेदारों को सही समय पर अस्पताल ले जाने की अपील भी की.
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