UIDAI के पूर्व चेयरमैन और आधार के आर्किटेक्ट माने जाने वाले नंदन नीलेकणि ने कहा कि आधार को बदनाम करने के लिए एक 'योजनाबद्ध कैंपेन' चलाया गया.
न्यूज चैनल ETNOW को दिए गए एक इंटरव्यू में, इंफोसिस के पूर्व शीर्ष अधिकारी रह चुके नीलेकणि ने कहा कि लोगों को अब आधार के बारे में नकारात्मक पहलुओं को देखने की बजाय उसके रचनात्मक पहलू को देखना चाहिए.
नीलेकणि का बयान उस घटना के एक हफ्ते बाद आया है, जब द ट्रिब्यून की रिपोर्टर रचना खैरा ने एक रैकेट का खुलासा किया था. रचना ने सिर्फ 500 रुपये में एक अरब भारतीयों के आधार डाटाबेस तक आसानी से पहुंचाने वाले रैकेट का पर्दाफाश किया था.
किसी को डेटाबेस एक्सेस करने के लिए डिटेल दी गई, जिसका मिसयूज किया गया. ये लॉगिन करने के लिए दिए गए एक विशेषाधिकार का दुरुपयोग था.नंदन नीलेकणि
बता दें कि अब कोई भी आधार कार्ड धारक UIDAI की वेबसाइट पर जाकर 16 अंकों वाला ये वर्चुअल आईडी निकाल सकता है. इसके जरिये बिना आधार संख्या बताए सिम के वेरिफिकेशन से लेकर बाकी सारे काम किए जा सकेंगे.
बुधवार को नीलेकणि ने इसे बड़ा बदलाव बताया है, उनका मानना है कि इसके बाद आधार पर जो तर्क किए जा रहे थे, वो खत्म हो जाएंगे.
क्या इस तरह के एक्सेस से डेटाबेस खतरे में है? इसपर नीलेकणि ने कहा:
देश में एक अरब भारतीय हैं, उनमें से कई अशिक्षित हैं और कार्ड नहीं पढ़ सकते हैं. वे जानकारी पाने के लिए दूसरे की मदद लेते हैं. इस तरह के मामलों के बीच, कस्टमर सर्विस में एक बैलेंस बनाना जरुरी है.नंदन नीलेकणि
उन्होंने आगे कहा कि 119 करोड़ भारतीयों को आधार कार्ड मिल चुका है, ऐसे में जिन्हें कार्ड की कमी के कारण बुनियादी सेवाएं नहीं दी जा रही थीं, अब वो भी मुद्दा नहीं रहा है.
5 साल पहले आधार कार्ड न होना एक समस्या हो सकती थी, लेकिन अब ये मुद्दा नहीं रहा. ये एक एप्लिकेशन डिजाइन फीचर है. इसके तहत सर्विस देना एप्लीकेशन पर निर्भर है, भले ही व्यक्ति आधार न रखता हो. कानून बहुत स्पष्ट है, किसी को सेवाओं से वंचित नहीं रखा जाएगा, बल्कि वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी.
नीलेकणि ने लोगों को विरोधी विचार लाने की बजाय बदले हुए सिस्टम के साथ काम करने की सलाह दी.
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