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NCRB ने जारी किए ताजा आंकड़े, किसान-आत्महत्या में भारी बढ़ोतरी

2014 के मुकाबले 2015 में किसानों और खेती से जुड़े मजदूरों के आत्महत्या में 2 फीसदी बढ़ोतरी हुई है.

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भारत
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राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, किसान आत्महत्याओं में 42% की बढ़ोतरी हुई है. आत्महत्या के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में सामने आए.

30 दिसंबर 2016 को जारी एनसीआरबी के रिपोर्ट 'एक्सिडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड इन इंडिया 2015' के मुताबिक साल 2015 में 12,602 किसानों और खेती से जुड़े मजदूरों ने आत्महत्या की है.

किसानों और खेतिहर मजदूरों की आत्महत्या में 2% बढ़ोतरी

एनसीआरबी की इस रिपोर्ट को देखें तो साल 2014 में 12,360 किसानों और खेती से जुड़े मजदूरों ने खुदकुशी कर ली. ये संख्या 2015 में बढ़ कर 12,602 हो गई.

2014 के मुकाबले 2015 में किसानों और खेती से जुड़े मजदूरों के आत्महत्या में 2 फीसदी बढ़ोतरी हुई.
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42% बढ़ी किसानों की आत्महत्या की दर

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, 12,602 लोगों में 8,007 किसान थे जबकि 4,595 खेती से जुड़े मजदूर थे. साल 2014 में आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या 5,650 और खेती से जुड़े मजदूरों की संख्या 6,710 थी.

किसानों की आत्महत्या के मामले में 2014 के मुकाबले 2015 में लगभग 42 फीसदी की बढ़ोतरी हुई.

महाराष्ट्र में सब से ज्यादा किसानों ने की आत्महत्या

किसानों के आत्महत्या के मामले में सब से बुरी हालात महाराष्ट्र की है. सूखे की वजह से साल 2014 और 2015 खेती के लिए बेहद खराब साबित हुआ. इसका सबसे ज्यादा असर महाराष्ट्र में दिखा.

इन मौतों में करीब 87.5 फीसदी केवल सात राज्यों में ही हुई हैं.

आत्महत्या के बढ़ते आंकड़े

स्नैपशॉट
  • साल 2015 में महारष्ट्र में 4,291 किसानों ने आत्महत्या की.
  • किसानों के आत्महत्या के मामले में महाराष्ट्र के बाद कर्नाटक का नंबर आता है.
  • कर्नाटक में साल 2015 में 1,569 किसानों ने आत्महत्या कर ली.
  • तेलंगाना (1400), मध्य प्रदेश (1290), छत्तीसगढ़ (954), आंध्र प्रदेश (916) और तमिलनाडु (606) भी इसमें शामिल है.

कर्ज और कंगाली है आत्महत्या का कारण

एनसीआरबी के रिपोर्ट के मुताबिक किसानों और खेतों में काम करने वाले मजदूरों की आत्महत्या का कारण कर्ज, कंगाली, और खेती से जुड़ी दिक्कतें हैं.

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