दिल्ली के पत्रकारों ने मंगलवार को संसद भवन के नजदीक प्रेस क्लब ऑफ इंडिया से शुरू करके सुप्रीम कोर्ट तक एक प्रोटेस्ट मार्च निकाला. सोमवार को पटियाला हाउस कोर्ट परिसर में कुछ पत्रकारों और छात्रों के साथ हुई मारपीट के विरोध में यह प्रोटेस्ट मार्च आयोजित हुआ.
पटियाला हाउस कोर्ट रूम में कुछ वकील ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाते हुए घुस आए थे और वहां मौजूद कुछ पत्रकारों व जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ मारपीट की थी, जहां जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को पेश किया जाना था.
पत्रकार उन वकीलों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं, जिन्होंने अदालत परिसर के भीतर उनसे और छात्रों से मारपीट की थी. साथ ही उनकी मांग है कि घटना को मूकदर्शक बने रहकर देखने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए.
पत्रकारों पर हमले की FIR दर्ज
पत्रकारों से मारपीट के मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की गई है. दिल्ली के पुलिस आयुक्त भीमसेन बस्सी ने दिल्ली पुलिस के 69वें स्थापना दिवस के एक कार्यक्रम में कहा,
हमने अदालत में हुई घटना के सिलसिले में एक FIR दर्ज की है. हम मामले की जांच कर रहे हैं.
‘JNU मामले में NIA जांच की जरूरत नहीं’
इस बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने जेएनयू परिसर में चली कथित राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से जांच कराने से इनकार कर दिया.
जस्टिस मनमोहन ने इस याचिका को ‘अपरिपक्व’ करार देते हुए खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि पुलिस पहले से मामले की जांच कर रही है. जज ने कहा,
मैं इस स्तर पर हस्तक्षेप नहीं कर रहा हूं. इसकी जांच दिल्ली पुलिस को ही करने दें. NIA का हस्तक्षेप करना जल्दबाजी होगी.
केंद्र सरकार के वकील अनिल सोनी और दिल्ली पुलिस के वकील राहुल मेहरा ने अदालत को बताया कि पुलिस इसकी जांच कर रही है कि जेएनयू परिसर में राष्ट्रविरोधी नारेबाजी किसने की और कौन इसके पीछे कौन था.
याचिका में जेएनयू में राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की एनआईए से और न्यायिक जांच की मांग की गई थी.
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