ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या है ‘वैक्सीन राष्ट्रवाद’? क्यों हो रही है इसकी आलोचना? ब्योरा

WHO प्रमुख ने सभी देशों से ‘वैक्सीन नेशनलिज्म’ यानी कि ‘वैक्सीन राष्ट्रवाद’ से बचने के लिए कहा है.

Updated
भारत
2 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

कुछ दिनों पहले एक प्रेस ब्रीफिंग में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख ट्रेडोस एडहानम गेब्रेयेसेस ने देशों को ग्लोब टीका संधि में शामिल होने के लिए कहा. WHO प्रमुख ने साथ ही सभी देशों से 'वैक्सीन नेशनलिज्म' यानी कि 'वैक्सीन राष्ट्रवाद' से बचने के लिए कहा.

“हमें वैक्सीन राष्ट्रवाद को रोकने की जरूरत है. रणनीतिक रूप से विश्व स्तर पर आपूर्ति बांटना असल में हर देश के राष्ट्रीय हित में है.”
WHO प्रमुख

तो क्या है 'वैक्सीन राष्ट्रवाद'? WHO क्यों इसकी आलोचना कर रहा है? क्यों ऐसा होने से विकासशील और गरीब देशों के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है, जानिए.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या है ‘वैक्सीन राष्ट्रवाद’?

जब भी कोई विकसित देश या राष्ट्र वैक्सीन के सफल ट्रायल के बाद फार्मा कंपनियों से पहले ही वैक्सीन खरीदने की डील करते हैं, तो उसे ‘वैक्सीन राष्ट्रवाद’ कहते हैं.

असरदार वैक्सीन बनने से पहले ही कई देश पहले ही Pfizer Inc, जॉनसन एंड जॉनसन और AstraZeneca Plc के साथ डील कर चुके हैं.

अमेरिका कथित तौर पर 6 ड्रगमेकर्स से 800 मिलियन और ब्रिटेन से 5 ड्रगमेकर्स से 280 मिलियन डोज खरीदने के लिए तैयार हुआ है. यूरोपीयन यूनियन ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन के 300 मिलियन डोज खरीदने पर बात की है.

वैक्सीन पर डील करने के लिए क्यों हो रही है देशों की आलोचना?

ये इसलिए अहम है क्योंकि सीमित संसाधनों वाले विकासशील देश और राष्ट्र इससे नुकसानदेह स्थिति में रहेंगे. अगर केवल कुछ देशों में वैक्सीन की पहुंच है, तो COVID-19 के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे दूसरे देशों को मुश्किल का सामना करना पड़ेगा.

GAVI अलाएंस के चीफ एग्जीक्यूटिव, सेथ बर्कली ने रॉयटर्स से कहा, “उदाहरण के तौर पर अगर आप पूरे अमेरिका, पूरे यूरोपियन यूनियन का टीकाकरण करने की कोशिश कर रहे हैं, वैक्सीन की दो डोज के साथ - तो आपको लगभग 1.7 बिलियन डोज की जरूरत पड़ेगी. और अगर ये उपलब्ध डोज की संख्या है, तो दूसरों के लिए बहुत कुछ नहीं बचेगा. अगर 30-40 देशों के पास वैक्सीन है और 150 देशों के पास नहीं, तो महामारी से वहां बड़ा संकट पैदा हो जाएगा.”

इसका समाधान क्या है?

वैक्सीन राष्ट्रवाद के खिलाफ विकल्प वैश्विक सहयोग है - जो WHO का कहना है कि संगठन समर्थित COVAX फेसिलिटी मैकेनिज्म द्वारा प्राप्त किया जा सकता है.

जो देश इस पहल में शामिल होते हैं, उन्हें WHO द्वारा वैक्सीन की आपूर्ति का आश्वासन दिया गया है, जब भी ये वैक्सीन सफल होती हैं. इन देशों के पास अपनी कम से कम 20 फीसदी आबादी की सुरक्षा के लिए सप्लाई होगी.

भारत की क्या है स्थिति?

हाल ही में, हिंदुस्तान टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि भारत ‘खरीदने के प्लान’ पर काम कर रहा है. इस संबंध में अभी तक कोई घोषणा नहीं की गई है.

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्लान का विवरण विकसित किया जा रहा है, लेकिन ये ध्यान रखना अहम है कि भारत में दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्रियल आधार है, जो दुनियाभर में उपयोग किए जाने वाले दो-तिहाई वैक्सीन प्रदान करता है.”

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

0
Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×