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वैक्सीन को लेकर रूस ने की भारतीय कंपनी से डील- मिलेगी 10 करोड़ डोज

अगर सब कुछ ठीक रहा तो इस साल के अंत तक भारत को वैक्सीन की डिलीवरी हो जाएगी

Published
भारत
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कोरोना महामारी से त्रस्त दुनिया को अब सिर्फ इस वायरस की वैक्सीन का इंतजार है. इसी बीच भारत भी लगातार कई देशों से वैक्सीन को लेकर बातचीत कर रहा है. अगर वैक्सीन तैयार हो जाती है तो भारत भी दुनिया का एक ऐसा देश होगा, जिसे सबसे ज्यादा डोज की जरूरत होगी. लेकिन भारत के लिए रूस से एक अच्छी खबर सामने आई है. रूस के सॉवरेन वेल्थ फंड ने कोरोना वायरस वैक्सीन Sputnik-V के 10 करोड़ डोज भारत को देने के लिए हामी भर दी है. वैक्सीन की ये डोज भारतीय ड्रग कंपनी डॉ. रेड्डीज लेबोरेट्रीज को दी जाएंगी.

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रूसी डायरेक्टर इनवेस्टमेंट फंड (RDIF) ने इससे पहले भारत में अपनी वैक्सीन के 30 करोड़ डोज बनाने का समझौता किया था. रूस की इस वैक्सीन के 30 करोड़ डोज भारतीय फार्मा कंपनियां तैयार करेंगीं. भारत की फार्मासुटिकल कंपनी डॉ. रेड्डीज इस वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल करने जा रही है. हालांकि अभी तक ड्रग रेगुलेटरी की तरफ से इसकी मंजूरी नहीं मिली है.

अगर सब कुछ ठीक रहता है और भारतीय ड्रग रेगुलेटरी की मंजूरी के बाद भारत में ट्रायल पूरे हो जाते हैं तो इस साल के अंत तक रूस कोरोना वैक्सीन की डोज भेजना शुरू कर देगा. यानी साल के अंत तक देश में वैक्सीन होगी.

बता दें कि रूस ने अपनी वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल पूरे करने के बाद दुनिया में पहली कोरोना वैक्सीन बनाई है. हालांकि इस वैक्सीन को लेकर कुछ सवाल भी खड़े हो रहे हैं.

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रूस की वैक्सीन सुरक्षित- स्टडी

लेकिन इन सवालों के बाद एक स्टडी में बताया गया कि रूस की वैक्सीन सुरक्षित है और ये एंटीबॉडी रेस्पॉन्स भी शुरू करती है. लांसेट जर्नल में छपी इस स्टडी में रूसी वैक्सीन के प्रिलिमिनरी ट्रायल के नतीजे दिए गए हैं. बता दें कि रूस ने करीब 40 हजार लोगों को अपने फेज-3 ट्रायल में शामिल किया था. जिसके बाद उसने कई देशों के साथ वैक्सीन को लेकर डील साइन की हैं.

अगर वाकई में कोरोना वायरस की ये वैक्सीन इस साल के अंत तक भारत पहुंच जाती है तो, इसे सबसे पहले फ्रंट लाइन वर्कर्स, जिनमें- डॉक्टर, सफाईकर्मी, पुलिसकर्मी, मीडियाकर्मी आदि शामिल हो सकते हैं. साथ ही हाई रिक्स पेशेंट्स को ये डोज दी जा सकती हैं. लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि पूरे देश में वैक्सीन पहुंचाने में करीब 1 से लेकर 2 साल तक भी लग सकते हैं.

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