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निर्भया का दोषी बोला-तिहाड़ में कराया गया जबरन सेक्स,दीं ये दलीलें

मुकेश कुमार के वकील ने दया याचिका खारिज होने के खिलाफ दायर की है याचिका

Published
भारत
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निर्भया गैंगरेप के दोषियों की फांसी का काउंटडाउन शुरू हो चुका है. कोर्ट के आदेश के मुताबिक कुछ ही दिन बाद चारों दोषियों को फांसी दे दी जाएगी. लेकिन अब दोषियों के वकील कोर्ट में कुछ ऐसी दलीलें देने लगे हैं, जिन्हें सुनकर कोई भी हैरान हो जाए. निर्भया के दोषी मुकेश के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में एक बड़ा खुलासा करते हुए दावा कि मुकेश के साथ तिहाड़ जेल में यौन उत्पीड़न हुआ और उसे साथी दोषी से सेक्स करने को मजबूर किया गया.

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दोषी मुकेश राष्ट्रपति के पास दया याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. उसने मानवाधिकारों का हवाला देते हुए दया याचिका खारिज किए जाने के खिलाफ अर्जी दाखिल की है. इस पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई. लेकिन इस सुनवाई के दौरान दोषी के वकील कई पैंतरों से जजों को ये समझाने की कोशिश करते नजर आए कि उसे माफ कर दिया जाना चाहिए.

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मुकेश के वकील ने दीं ये दलीलें

  • दोषी मुकेश की वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वो रोज मर रहा है. उसका जेल में यौन उत्पीड़न किया गया, उसके भाई ने आत्महत्या कर दी, या उसकी हत्या कर दी गई. इसीलिए वो हर दिन मौत की तरह गुजार रहा था.
  • वकील ने आर्टिकल 72 का हवाला देते हुए कहा कि गुनाह को गुनहगार से अलग करके देखना चाहिए.
  • वकील ने कोर्ट में कहा कि राष्ट्रपति के सामने ट्रायल कोर्ट के जजमेंट को नहीं रखा गया था. जिस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ये सब झूठ है और राष्ट्रपति की सामने सभी दस्तावेज रखे गए थे.
  • मुकेश की वकील ने बार-बार कोर्ट से कहा कि दोषी को एक अलग कालकोठरी में रखा गया था.
  • हमेशा की तरह इस बार भी दोषी के वकील ने कोर्ट में ये दलील दी कि सजा दोषी को मिलती है अपराध को नहीं.
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सॉलिसिटर जनरल ने दिए तर्कों के जवाब

दोषी मुकेश की वकील अंजना प्रकाश की इन दलीलों का जवाव सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में दिया. तुषार मेहता ने कहा कि राष्ट्रपति के पास सभी दस्तावेज पहुंचने के बाद ही दया याचिका को खारिज किया गया. दया याचिका दिल्ली के उपराज्यपाल से होते हुए गृहमंत्रालय गई. जिसे बिना देरी किए राष्ट्रपति को भेज दिया गया.

दोषी मुकेश के साथ यौन उत्पीड़न को लेकर मेहता ने कहा कि जेल में इस तरह के उत्पीड़न का आरोप दया का आधार नहीं बन सकता है. इसके लिए दोषी कोर्ट में अपील कर सकता है. लेकिन इसके आधार पर दया की मांग नहीं कर सकता है.

वहीं अकेली कालकोठरी में डाले जाने के आरोप को लेकर मेहता ने कहा कि उसे किसी कालकोठरी में नहीं डाला गया था. लेकिन कुछ सुरक्षा कारणों के चलते सिंगल वार्ड में रखा गया. मेहता ने कहा कि फांसी में देरी होने पर चर्चा हो सकती है लेकिन ये नहीं कहा जा सकता है कि दया याचिका काफी जल्दी खारिज हो गई.

दोषी के वकील ने कहा था कि फांसी की सजा मिलने के बाद मुकेश रोज मर रहा है. इस पर तुषार मेहता ने कहा कि एक बार मौत की सजा मिलने के बाद दोषी रोज मरता है, इसीलिए उसकी फांसी में देरी उसे और भी ज्यादा बर्बर बना सकती है.

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