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Pegasus Project: जासूसी कांड पर भारतीय और इंटरनेशनल मीडिया में कवरेज का अंतर

Pegasus Project: भारतीय और विदेशी मीडिया के कवरेज में है धरती-आसमान का अंतर

Published
भारत
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पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) - भारत के बड़े पत्रकारों, नेताओं और एक्टविस्ट की जासूसी के आरोप. जिन मीडिया संस्थानों के पत्रकारों की जासूसी का खुलासा किया गया, उन्होंने भी इस खबर के प्रति उदासीनता दिखाई. तो कैसा रहा इस बड़ी खबर पर भारतीय मीडिया का कवरेज और उसकी तुलना में इंटरनेशनल मीडिया ने इसे कितनी तवज्जो दी? इस रिपोर्ट में हम यही जानने की कोशिश करेंगे.

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इजरायली स्पाइवेयर पेगासस की मदद से कम से कम 300 भारतीय फोन नंबरों की जासूसी के खुलासे ने भारत में तूफान ला दिया है. इस खुलासे में दावा किया गया कि 40 पत्रकारों, कई राजनेताओं, सरकारी अधिकारियों और एक्टिविस्टों की संभावित निगरानी की जा रही थी. संभावित निगरानी में हिंदुस्तान टाइम्स ,इंडिया टुडे ,नेटवर्क 18, द हिंदू एवं द इंडियन एक्सप्रेस जैसे मीडिया हाउसों के पत्रकार और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर तथा चुनाव अधिकारी अशोक लवासा तक का नाम शामिल है.

भारतीय मीडिया में कवरेज

भारत में सर्विलांस और प्राइवेसी से जुड़े इस महत्वपूर्ण खुलासे को भारतीय मीडिया में दी गई कवरेज को बहुत से बहुत 'असमान' ही कहा जा सकता है.

न्यूज़ चैनल NDTV निर्धारित रिलीज से पहले, रात 9:00 बजे से रिपोर्ट के लाइव कवरेज के लिए तैयार था. इसमें पैनलिस्ट के तौर पर अल्ट न्यूज के सह संस्थापक प्रतीक सिन्हा शामिल थे तो साथ ही इंटरव्यू के लिए द वायर के संपादक एमके वेणु को बुलाया गया था. इसके अलावा NDTV एकमात्र अंग्रेजी चैनल था जिसने जासूसी के आरोप को पूरी कवरेज दी. दूसरी तरफ टाइम्स नाउ, इंडिया टुडे और अन्य ने सिर्फ NSO या सरकार की प्रतिक्रिया को ही जगह दी.

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इस बीच अगली सुबह न्यूजपेपर हिंदुस्तान टाइम्स के पहले पन्ने पर रिपोर्ट की बहुत थोड़ी चर्चा थी और बाकी विस्तार 9वें पेज पर जारी था. रिपोर्ट द्वारा किए गए खुलासे पर अखबार ने कोई संपादकीय नहीं छपा था. हिंदुस्तान टाइम्स की सिस्टर पब्लिकेशन, मिंट ने भी ऐसा ही किया और रिपोर्ट को केवल पहले पन्ने पर एक छोटे बॉक्स में कवर किया.

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हिंदुस्तान टाइम्स

फोटो : स्क्रीनशॉट

टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपने पहले पन्ने पर रिपोर्ट को कवर किया जिसका शीर्षक था "स्पाइवेयर की मदद से मंत्रियों, विपक्ष, पत्रकारों, बिजनेसमैनों की जासूसी: रिपोर्ट". जबकि द टेलीग्राफ ने इसे पहले पेज पर नहीं बल्कि दूसरे पेज पर कवर किया और शीर्षक दिया "हैक विश लिस्ट में जज और मंत्री".

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टाइम्स ऑफ इंडिया

स्क्रीनशॉट

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टेलीग्राफ

स्क्रीनशॉट

इंडियन एक्सप्रेस ने इस स्टोरी को पहले पन्ने पर जगह दी.

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इंडियन एक्सप्रेस

स्क्रीनशॉट

हालांकि द वायर के अनुसार कुछ क्षेत्रीय समाचार पत्रों ने इस खुलासे को प्रमुखता से कवर किया. लोकप्रिय तेलुगू दैनिक अखबार, ईनाडु ने इसे पहले पन्ने पर जगह दी जबकि एक अन्य अखबार, आंध्र ज्योति ने इसे दूसरे पेज पर कवर किया.

इसके अलावा बंगाली अखबार आनंद बाजार पत्रिका के साथ-साथ गुजराती अखबार दिव्य भास्कर, संदेश और गुजरात समाचार ने भी अपने पहले पन्ने पर इस रिपोर्ट को कवर किया. हालांकि वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने शिकायत की कि प्रमुख हिंदी समाचार पत्र दैनिक भास्कर ने तो इसे पहले पन्ने पर जगह दी जबकि अमर उजाला ने इस खबर को 9वें पेज पर छापा है.

द वायर ने रिपोर्ट किया कि अन्य हिंदी अखबार जैसे दैनिक जागरण ,जनसत्ता, पंजाब केसरी और नवोदय ने भी इसे पहले पन्ने पर जगह नहीं थी.

याद रखिए कि ये बड़ी खबर फूटने से पहले इसकी चर्चा भी खूब हो चुकी थी. यानी पहले दिन ही चैनल और अखबार इसपर बड़ी चर्चा करना चाहते तो पर्याप्त वक्त था.

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एक दिन बाद

अगले दिन बदलाव देखने को मिला, क्योंकि अधिक खुलासे के साथ इस मुद्दे को कुछ समाचार पत्रों ने अपने पहले पन्ने पर प्रमुखता के साथ छापा. द हिंदू ने मंगलवार, 20 जुलाई को इस खबर को तीन अलग-अलग पेज ( पहले पन्ने और फिर आठवें पन्ने पर जारी) पर छापा, जिसमें राहुल गांधी, प्रशांत किशोर और अशोक लवासा को संभावित टारगेट के रूप में शामिल करने की रिपोर्ट थी. कवरेज यहीं नहीं रुका और 'इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन' द्वारा 'सर्विलांस रिफॉर्म समय की आवश्यकता है' शीर्षक के साथ इसको विस्तार दिया गया.

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द हिंदू

स्क्रीनशॉट

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द हिंदू

स्क्रीनशॉट

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द हिंदू

स्क्रीनशॉट

हिंदुस्तान टाइम्स ने भी मंगलवार 20 जुलाई को आगे आते हुए इसे पहले पन्ने पर जगह दी और नए जुड़े संभावित टारगेट को कवर करने के साथ-साथ गृह मंत्री अमित शाह और आईटी मंत्री अश्वनी वैष्णो की प्रतिक्रिया भी छापा.

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हिंदुस्तान टाइम्स

स्क्रीनशॉट

द टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी इस न्यूज़ को पहले पन्ने पर जगह दी ,लेकिन उसने सिर्फ इस आरोप पर सरकार की प्रतिक्रिया को छापा.

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टाइम्स ऑफ इंडिया

स्क्रीनशॉट

इंडियन एक्सप्रेस ने फिर से इस रिपोर्ट को अपने पहले पन्ने पर जगह दिया .इसने विपक्ष की प्रतिक्रिया और शाह के बयान पर स्टोरी के साथ साथ संभावित टारगेट में एक महिला पर एक अलग स्टोरी की जिसने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था.

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इंडियन एक्सप्रेस

स्क्रीनशॉट

मंगलवार, 20 जुलाई को द टेलीग्राफ ने खुद को ही पछाड़ दिया उसने पहले पन्ने को पूरी तरह से इस खुलासे को कवरेज करने में लगा दिया. शीर्षक दिया 'स्नूपिडेमिक'.

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द टेलीग्राफ

स्क्रीनशॉट

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न्यूज चैनलों ने कैसे किया इसको कवर

इंडिया टुडे के एंकर राहुल कंवल ने कई लोग के साथ चर्चा की, जिसमें से दो के नाम लीक लिस्ट में शामिल थे - स्वाती चतुर्वेदी और इंडिया टुडे के अपने संदीप उन्नीथन. चर्चा का शीर्षक था "पेगासस स्नूपगेट स्कैंडल एक्सप्लोड्स ! हू पुश द स्नूपिंग बटन".

स्वाभाविक रूप से रिपब्लिक टीवी ने भी पेगासस के खुलासे पर बहस की, लेकिन अपने ही स्टाइल में. #PegasusFlopShow के साथ. अर्णब गोस्वामी ने अपने अंदाज में बहस की शुरुआत करते हुए कहा "वह पेगासस के बारे में इस बवाल को नहीं समझ पा रहे है.

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इंटरनेशनल मीडिया ने कैसे किया कवर

जहां कुछ भारतीय प्रकाशकों ने भारत के नागरिकों की प्राइवेसी से संबंधित इस खुलासे को प्रमुखता नहीं थी वहीं कुछ विदेशी प्रकाशकों ने अपने कवरेज के साथ धमाकेदार प्रदर्शन किया. 20 जुलाई की सुबह 'द गार्जियन' के पहले पन्ने पर पीएम मोदी का चेहरा छपा हुआ था.

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द न्यूयॉर्क टाइम्स के मंडे एडिशन ने इन आरोपों को पहले पन्ने पर जगह दी.

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इसके अलावा वाशिंगटन पोस्ट और BBC मैं अपने वेबसाइट के होम पेज पर इससे जुड़ी खबरों को जगह दिया.

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