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कोरोना वैक्सीन 2024 तक भी सभी लोगों तक नहीं पहुंच पाएगी- SII सीईओ

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के सीईओ अदार पूनावाला ने वैक्सीन पर क्या कहा

Published
भारत
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कोरोना वायरस (Coronavirus) से पूरी दुनिया परेशान है. संक्रमण के कुल मामले 2 करोड़ से ज्यादा हो चुके हैं. मौतों का आंकड़ा 9 लाख पार चला गया है. ऐसे में सभी को वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) का ही इंतजार है. कई देशों में वैक्सीन पर काम चल रहा है और ये अभी ट्रायल स्टेज पर है. लेकिन उम्मीद है कि जल्दी ही वैक्सीन आ जाएगी. हालांकि, दुनिया में वैक्सीन के सबसे बड़े उत्पादक सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा है कि 2024 तक भी पूरी दुनिया के लोगों तक वैक्सीन नहीं पहुंच पाएगी.

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फाइनेंशियल टाइम्स के साथ एक इंटरव्यू में पूनावाला ने कहा, "2024 के अंत तक भी इतनी कोरोना वायरस वैक्सीन नहीं बन पाएगी कि दुनियाभर के सभी लोगों को मिल सके." अदार पूनावाला का कहना है कि फार्मा कंपनियां दुनियाभर की जनसंख्या तक वैक्सीन पहुंचाने के लिए अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ा नहीं रही हैं.

इस धरती पर हर शख्स को कोरोना वायरस वैक्सीन मिलने में चार से पांच साल लग जाएंगे.  
अदार पूनावाला

इससे पहले पूनावाला ने अनुमान लगाया था कि अगर कोरोना वायरस की वैक्सीन भी मीसल्स और रोटावायरस की तरह दो-डोज की वैक्सीन होगी, तो दुनिया को 15 बिलियन डोज चाहिए होंगी.

अदार पूनावाला ने भारत में वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन पर भी चिंता जताई है. वैक्सीन को ट्रांसपोर्ट करने के लिए कोल्ड-चेन इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती है. भारत में ये इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत अच्छा नहीं है.

400 मिलियन डोज के आगे डिस्ट्रीब्यूशन के लिए क्या योजना होगी, उसकी मुझे कोई साफ तस्वीर नहीं दिखती है. आप वो स्थिति नहीं चाहते हैं जब आपके पास देश के लिए कैपेसिटी हो लेकिन उसे कंज्यूम न कर सकें.  
अदार पूनावाला
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सीरम इंस्टीट्यूट का पांच कंपनियों से समझौता

पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादक है. इसी वजह से उसने पांच इंटरनेशनल फार्मा कंपनियों के साथ समझौता किया है. इन कंपनियों में AstraZeneca और Novavax भी शामिल हैं. जैसे ही इन कंपनियों के ट्रायल खत्म होंगे, SII कोरोना वायरस वैक्सीन के प्रोडक्शन का काम शुरू कर देगा.

SII ने एक बिलियन डोज बनाने का दावा किया है और इसमें वो आधी डोज भारत के लिए रखेगा. SII रूस के गमेलिया रिसर्च इंस्टीट्यूट के साथ भी समझौता कर सकता है. ऐसा होता है, तो रूस की स्पुटनिक वैक्सीन बनाने का कॉन्ट्रैक्ट भी SII को मिल सकता है.

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