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टूलकिट केस:पीटर फ्रेडरिक ने कहा–’दिशा,निकिता,शांतनु को नहीं जानता’

क्विंट ने पूरे मामले को बेहतर तरीके से समझने के लिए दिल्ली पुलिस के अधिकारियों और पीटर फ्रेडरिक से बात की

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भारत
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दिशा रवि टूलकिट मामले में दिल्ली पुलिस ने अमरिकी एक्टिविस्ट और लेखक पीटर फ्रेडरिक को मास्टरमाइंड बताया है. पुलिस का कहना है कि पीटर ही बताता था कि सोशल मीडिया पर किसे टैग करना है और किस तरह के हैशटैग का इस्तेमाल करना है. क्विंट ने पूरे मामले को बेहतर तरीके से समझने के लिए दिल्ली पुलिस के अधिकारियों और पीटर फ्रेडरिक से बात की.

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पीटर फ्रेडरिक ने क्विंट को बताया कि वे दिशा, निकिता और शांतनु में से किसी को नहीं जानते लेकिन दिल्ली पुलिस का कहना है कि 4 फरवरी को ग्रेटा थनबर्ग ने जो टूलकिट ट्वीट किया था, उसमें पीटर फ्राइडरिक का भी नाम था.

टूलकिट मामले में कैसे आया पीटर फ्रेडरिक का नाम

15 फरवरी को दिल्ली पुलिस ने प्रेस कांफ्रेंस में पीटर फ्रेडरिक का जिक्र किया था. पुलिस का कहना है कि टूलकिट में पीटर फ्रेडरिक का भी नाम था. पुलिस के मुताबिक पीटर फ्रेडरिक 2006 के अंत से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर है. उसे भजन सिंह भिंडर उर्फ इकबाल चौधरी के साथ देखा गया था.

भिंडर पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी ISI की कश्मीर-खालिस्तान डेस्क से जुड़ा है. भिंडर कुछ समय के लिए अमेरिका के ड्रग एंफोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन का ‘पर्सन ऑफ इंटरेस्ट’ था. फिलहाल वो साइकोलॉजिकल ऑपरेशंस संभाल रहा है. पुलिस से इस बारे में जब ज्यादा जानकारी मांगी गई तो पुलिस का कहना था कि अभी जांच जारी है.
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टूलकिट मामले में दिल्ली पुलिस की जांच की दिशा किस ओर

दिल्ली पुलिस के एक अफसर ने क्विंट को बताया “हम इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहें हैं कि पीटर फ्रेडरिक का नाम टूलकिट में कैसे आया. दिशा, निकिता या शांतनु के पास ही इसका जवाब हो सकता है. क्या ये लोग उसे निजी तौर पर जानते है या पोएटिक जस्टीस फाउंडेशन के फाउंडर धालीवाल ने उसका नाम सुझाया था.”

दिल्ली पुलिस का कहना है कि टूलकिट का मुख्य उद्देश्य विधिवत तरीके से चुनी गई सरकार के खिलाफ असंतोष फैलाना था. किट को दिशा, निकिता और शांतनु ने खालिस्तान समर्थित पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के साथ मिलकर बनाया था.

पुलिस ने दिशा रवि को 13 फरवरी को गिरफ्तार किया था. कोर्ट ने दिशा को 19 फरवरी तक पुलिस कस्टडी में भेजा है. वहीं 16 फरवरी को शांतनु को बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने 10 दिन की ट्रांजिट अग्रिम जमानत दी है.

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पीटर फ्रेडरिक की भूमिका को लेकर पुलिस के पास क्या सबूत है

अभी तक दिल्ली पुलिस के पास केवल टूलकिट ही है जिसमें फ्रेडरिक का नाम है. पुलिस का कहना है कि फ्रेडरिक की भूमिका पर अभी सबूत जुटाए जा रहे हैं. पुलिस ने वीडियो कांफ्रेंसिंग एप जूम से 11 फरवरी को हुई मीटिंग की जानकारी मांगी है. पुलिस के मुताबिक इस मीटिंग में धालीवाल के साथ दिशा, शांतनु और निकिता भी शामिल थे. पुलिस को शक है कि फ्रेडरिक भी इस मीटिंग का हिस्सा था.

क्विंट ने इस मामले पर पीटर फ्रेडरिक का पक्ष भी जानना चाहा. पढ़िए क्विंट के सवालों का फ्रेडरिक ने क्या जवाब दिया.

क्या 11 जनवरी को जूम पर हुई मीटिंग का हिस्सा थे?

काश मैं उस मीटिंग में शामिल हो पाता. किसान आंदोलन के लिए हैशटैग की प्लानिंग करना मेरे लिए सम्मान की बात होती. मैं सर्वसत्तावाद के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलनकारियों के साथ खड़ा हूं.

क्या दिशा रवि, निकिता जैकब और शांतनु मुलुक में से परिचय है?

नहीं

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क्या किसी भी तरह से धालीवाल और पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से संबंध है?

नहीं, मैंने पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के बारे में सबसे पहले 26 जनवरी की मीडिया खबरों के बाद सुना था. मुझे टूलकिट का मास्टरमाइंड बुलाए जाने की खुशी है लेकिन इसका श्रेय मुझे नहीं जाता. मुझे इस बात का दुख भी है कि भारतीय किसानों के इस शांतिपूर्ण आंदोलन के लिए मैं ज्यादा कुछ नहीं कर सका.

भजन सिंह भिंडर के साथ रिश्ते हैं?

अगर भारत में मेरे खिलाफ कोई आपराधिक मामला है, तो यह केवल आरएसएस के देश पर बढ़ते फासीवादी नियंत्रण का विरोध करने की वजह से ही होगा. मैंने भिंडर के साथ मिलकर दो किताबें लिखी हैं. जिसमें बताया गया है कि सिख धर्म की उत्पत्ति जाति-विरोधी संघर्ष के साथ कैसे हुई. हमारी दोस्ती सभी के लिए समानता और स्वतंत्रता के लिए काम करने और भारत में मानव अधिकारों की समस्याओं का शांतिपूर्ण समाधान ढूंढने के पारस्परिक जुनून पर केंद्रित है.

क्या दिल्ली पुलिस या किसी दूसरी भारतीय सुरक्षा एजेंसी ने टूलकिट या किसी दूसरे मामले में कभी पूछताछ की हैं?

मैं भारतीय नागरिक नहीं हूं. इस वजह से कोई भारतीय सुरक्षा एजेंसी सीधे मुझसे पूछताछ नहीं कर सकती. एक अमेरिकी नागरिक के रूप में मुझे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और चुप रहने का अधिकार अमेरिकी संविधान ने दिया है.

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क्या ये मामला राजद्रोह जितना गंभीर है

कुछ बिंदुओं से मामले की गंभीरता को समझने की कोशिश करते है.

  • भले ही दिल्ली पुलिस का कहना है कि पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन एक खालिस्तानी समर्थित समूह है लेकिन भारत में इस पर बैन नहीं है। अगर दिशा, निकिता या शांतनु में से किसी का भी संबंध इस फाउंडेशन से है तो भी केवल इसी आधार पर राजद्रोह का केस दर्ज नहीं किया जा सकता.
  • टूलकिट में कहीं भी हिंसा का जिक्र नहीं है.
  • पुलिस पीटर की भूमिका पर अभी सबूत जुटा रही है. टूलकिट में पीटर के शामिल होने का सबूत मिल भी जाता है तो केवल शामिल होना किसी तरह का अपराध नहीं है. पीटर न कोई घोषित आतंकवादी है न किसी आतंकी समूह का प्रतिबंधित सदस्य.
  • सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों में कहा है कि किसी भी प्रतिबंधित समूह का केवल सदस्य होना आपके खिलाफ अपराध दर्ज करने के लिए पर्याप्त नहीं है. ऐसे मामलों में उसे ही आरोपी बनाया जा सकता है जो प्रतिबंधित समूह के सदस्य होने के साथ-साथ समूह की गतिविधियों में सक्रिय रुप से हिस्सा लेता रहे.

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