ADVERTISEMENTREMOVE AD

UP: सुरक्षा के लिए चेहरे पढ़ेंगे कैमरे,महिलाएं बोलीं-ये निगरानी है

नजदीकी पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना देंगे

Published
भारत
3 min read
story-hero-img
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पुलिस सार्वजानिक जगहों पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस कैमरा लगाने जा रही है. अगर महिलाएं स्टॉकिंग या छेड़खानी की शिकार होती हैं तो , ये कैमरे महिलाओं के 'चेहरे के हावभाव' के आधार पर नजदीकी पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना देंगे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के 'मिशन शक्ति' प्रोग्राम के तहत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस कैमरे 'परेशान महिलाओं' की फोटो क्लिक करेंगे और उन्हें कंट्रोल रूम को भेज देंगे. जिसके बाद जरूरी कार्रवाई की जाएगी.

इसके अलावा पुलिस लखनऊ की मुख्य सड़कों और चौराहों पर पैनिक बटन इंस्टॉल करेगी. पुलिस ने एक बयान में कहा, "परेशानी के समय महिलाओं को सिर्फ पैनिक बटन दबाना होगा."

लखनऊ पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने एक इवेंट में कथित तौर पर कहा:

“परेशान महिला के जैसे ही हावभाव बदलेंगे, तुरंत ही अलर्ट आ जाएगा. इससे पहले कि वो फोन निकालकर 100 डायल करेंगी या यूपी 112 पर कॉल करेंगी, पुलिस के पास अलर्ट पहुंच जाएगा.” 

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, ठाकुर ने कहा कि पुलिस ने ऐसे 200 हॉटस्पॉट्स की पहचान की है, जहां महिलाओं की आवाजाही सबसे ज्यादा है और 'जहां से सबसे ज्यादा शिकायतें आई हैं.'

0

'पहले महिलाओं की शिकायत दर्ज करने में मदद करें'

सोशल एक्टिविस्ट और समाजवादी पार्टी की नेता सुमैया राणा ने योगी सरकार की आलोचना करते हुए कहा, "राज्य सरकार न ही रेप रोकने के लिए कदम उठा रही है और न ही दोषियों को सजा दे रही है लेकिन ये कैमरे लगाकर स्टंट कर रही है."

क्विंट से बात करते हुए राणा ने कहा कि यूपी में महिलाओं को सुरक्षित महसूस नहीं होता है.

“वो अपराध रोकने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं. लेकिन ये कैमरा वाला आइडिया लेकर आए हैं. ये सब की बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे हैं. जो महिलाएं पुलिस स्टेशन जाती हैं अपनी शिकायत दर्ज कराने, ये लोग उनकी मदद के लिए कोई कदम नहीं उठाते लेकिन ये महिलाओं के हावभाव के आधार पर कार्रवाई करेंगे. महिलाएं समझ गई हैं कि वो इस सरकार में सुरक्षित नहीं हैं. वोट भी जल्दी ये दिखा देंगे.” 
सुमैया राणा

लखनऊ यूनिवर्सिटी की पूर्व वाइस चांसलर प्रोफेसर रूपरेखा वर्मा ने भी इस कदम की आलोचना की. उनका कहना है कि ये फैसला अगले चुनाव में वोट लेने की 'चाल' लगती है.

“मैंने महिलाओं के मुद्दों के लिए जिंदगी भर पुलिस स्टेशन के चक्कर काटे हैं. मैंने देखा है कि पीटे जाने के खुले घाव लेकर जाने वाली महिलाओं को पुलिस वापस भेज देती है. हम कैसे उम्मीद करें कि वो समझेंगे और उन महिलाओं की मदद करेंगे जो अपनी भावनाएं जाहिर नहीं करना चाहती हैं और परेशानी के बावजूद अपने इमोशन दबाना चाहती हैं. क्या ये भगवान हैं कि महिलाओं के दिल में देख लेंगे और समझ जाएंगे कि क्या चल रहा है?”
रूपरेखा वर्मा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

ट्विटर ने की फैसले की आलोचना

हालांकि, सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इस फैसले की आलोचना की है. उनका कहना है कि सर्विलांस बड़ा मुद्दा है और ये महिलाओं की प्राइवेसी का उल्लंघन है.

ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वीमेंस एसोसिएशन की सेक्रेटरी कविता कृष्णन ने कहा, "महिलाओं को ट्रैक, स्टॉक करना और उनकी प्राइवेसी का उल्लंघन बंद कीजिए. हमें झांकने वाले पुलिसवालों से बचाइए."

नजदीकी पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना देंगे
नजदीकी पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना देंगे

कुछ लोगों ने ट्विटर पर पूछा कि भारत सर्विलांस पर फोकस क्यों कर रहा है जबकि कम खर्च में पुरुषों को शिक्षित और आरोपियों, स्टॉकर्स और रेपिस्ट्स को सुधारा जा सकता है.

नजदीकी पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना देंगे
नजदीकी पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना देंगे

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें