ADVERTISEMENTREMOVE AD

कोरोना पर PM मोदी का रोना: लाइक से ज्यादा डिसलाइक और निगेटिव कमेंट

किसी नेता के सार्वजनिक रूप से रोने के मायने क्या हैं?

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

शुक्रवार, 21 मई को प्रधानमंत्री मोदी अपने संसदीय क्षेत्र ,वाराणसी के हेल्थ केयर वर्करों से ऑनलाइन बातचीत करते हुए 'भावुक' हो गए. जाहिर है वीडियो वायरल हो गया ,जहां पीएम के समर्थकों से लेकर उनके आलोचकों तक ने वीडियो को शेयर किया. बेशक राजनीतिक प्रतिक्रिया लकीर के फकीर वाले तर्ज पर ही सामने आई,जहां पीएम के समर्थकों ने इसे कोविड-19 महामारी के कारण मरे लोगों के लिए 'दुखों का बाहर आना' कहा तो विपक्ष ने इसे 'ड्रामा' और 'घड़ियाली आंसू' बताया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

लेकिन इसे आम जनता ने कैसे देखा? महामारी के प्रबंधन पर होती आलोचनाओं को यह कम करेगा या मुद्दे को और खराब कर देगा?

हम इन निम्न दोनों पक्षों पर विश्लेषण करने का प्रयास करेंगे:

  1. 'भावुक होते पीएम मोदी' वाले वीडियो पर ऑनलाइन प्रतिक्रिया

  2. जब नेता रोता है तो उसका राजनैतिक अर्थ क्या होता है?

0

ऑनलाइन प्रतिक्रिया-इतने सारे लोगों को यह मजाकिया क्यों लग रहा?

हमने ऑनलाइन प्रतिक्रिया की जांच के लिए उन न्यूज़ चैनलों पर ध्यान केंद्रित किया जिन्होंने उस वीडियो को शेयर किया था .इसका कारण है कि न्यूज़ चैनलों का फॉलोवर बेस विविध होता है, जिसमें हर राजनीतिक विचारों के लोगों के साथ-साथ तटस्थ विचारों के लोग भी शामिल होते हैं. दूसरी तरफ राजनीतिक पार्टियों के पेजों और राजनेता विशेष के पेजों पर मुख्यतः उनकी विचारधारा से मेल खाते फॉलोअर होते हैं.

नोट-यह डाटा 22 मई को शाम 4 से 6 बजे तक का है.

● फेसबुक

एबीपी न्यूज़ के फेसबुक पेज पर पीएम मोदी के वीडियो पर 2100 यूजर्स ने लाइक बटन पर क्लिक किया था, 1400 ने 'हाहा',जबकि अन्य रिस्पांस जैसे 'लव', 'एंग्री' पर 100 से कम क्लिक थे. दूसरी तरफ टाइम्स ऑफ इंडिया के पेज के इसी वीडियो पर 2400 लोगों ने 'हाहा' पर क्लिक किया जबकि 761 लोगों ने लाइक बटन दबाया. NDTV पर 213 ने 'हाहा' और 108 ने लाइक बटन दबाया.TV9 मराठी पर 721 ने 'हाहा' और 361 ने लाइक बटन दबाया. इंडिया टुडे पर 1000 'हाहा' और 272 लाइक थे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मोटे तौर पर 'लाइक' दर्शाता है मोदी के 'भावुक उदगार' का समर्थन. हमने 'मोटे तौर' पर इसलिए कहा क्योंकि लोगों के लाइक बटन दबाने की ज्यादा संभावना होती है क्योंकि लाइक दबाने के लिए सिर्फ एक क्लिक की जरूरत होती है. दूसरी तरफ 'हाहा', 'लव', 'एंग्री', 'केयर' दबाने के लिए लाइक बटन को दबाकर मनपसंद विकल्प चुनने की आवश्यकता होती है.

इसके बावजूद अगर 'हाहा' रिस्पांस पर बहुत बड़ी संख्या में लोग क्लिक कर रहे हैं तो यह पीएम मोदी के लिए खतरे की घंटी है. ऐसा दिखता है कि कम से कम फेसबुक पर 'हाहा' रिस्पांस का अनुपात अंग्रेजी न्यूज़ पेजों और गैर-हिंदी क्षेत्रीय भाषाओं के पेजों पर हिंदी न्यूज़ चैनलों के पेजों की अपेक्षा ज्यादा है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

● यूट्यूब

हालांकि यूट्यूब पर तस्वीर बहुत अलग है. फेसबुक से विपरीत यहां लाइक और डिसलाइक बटन दोनों के लिए सिर्फ एक क्लिक की जरूरत होती है. इसलिए यहां दर्शक अपनी भावनाओं के आधार पर दोनों को एक समान प्रोबेबिलिटी से चुन सकता है.

  • यहां दूरदर्शन के वीडियो पोस्ट पर 274 लाइक्स और 1300 डिसलाइक्स थे.

  • एबीपी न्यूज़ पर 2000 लाइक्स, 12000 डिसलाइक्स थे.

  • इंडिया टुडे पर 36 लाइक्स और 320 डिसलाइक्स थे.

तो अब यूट्यूब पर प्रतिक्रिया जबरदस्त रूप से प्रधानमंत्री की तरफ नकारात्मक थी. यह तुलनात्मक रूप से नई घटना लग रही है. चलिए पीएम मोदी के इससे पहले रोने वाली घटनाओं से इसकी तुलना करते हैं.

प्रधानमंत्री मोदी जब राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद की विदाई पर भावुक हुए थे तब डीडी न्यूज़ पर उस वीडियो को 10000 लाइक और 4800 डिसलाइक मिले थे. यह आश्चर्यजनक नहीं था क्योंकि बहुतों ने प्रधानमंत्री के विपक्षी नेता के लिए इस तरह के सम्मान की सराहना की थी. 2014 में प्रधानमंत्री बनने के तुरंत बाद संसद में 'भावुक भाषण' को ET NOW के यूट्यूब पेज पर 32000 लाइक और 4320 लाइक मिले.

इसलिए पुराने आंसुओं पर प्रतिक्रिया को देखकर लगता है कि महामारी पर पीएम के इस आंसू को लोगों ने बहुत ज्यादा संदेह की निगाहों से देखा है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पीएम मोदी का अपना यूट्यूब चैनल

मोदी के अपने यूट्यूब चैनल पर भी प्रतिक्रिया आश्चर्यजनक रही. वाराणसी के फ्रंट लाइन वर्करों से संवाद के फुल लाइव वीडियो पर 5100 लाइक और 3910 डिसलाइक थे. लेकिन चार अन्य रिसेंट वीडियोज पर लाइक से ज्यादा डिसलाइक है.

जैसे 'पीएम मोदी अपलौड डॉक्टर एंड हेल्थ केयर वर्कर' टाइटल वाले वीडियो,जो कि उसी लाइव वीडियो का कट है ,पर 1300 लाइक और 2900 डिसलाइक है. उसी लाइव वीडियो का हिस्सा 'जहां बीमार,वही उपचार' टाइटल वाले वीडियो पर 2300 लाइक और 5300 डिसलाइक है.' 'फ़्यू इनीशिएटिव्स एंड मोमेंट दैट हेल्प कमबैट कोरोना' पर 2000 लाइक और 2600 डिसलाइक है. 1 सप्ताह पहले पोस्ट किए गए 'पीएम मोदी अपील टू द पीपुल' वीडियो पर 3300 लाइक और 7600 डिसलाइक है.

पीएम मोदी के वीडियोज पर डिसलाइक में यह उछाल पिछले 1 साल में हुआ है. उनके अगस्त 2020 के 'मन की बात' वीडियो को पोस्ट करने के कुछ दिनों के अंदर 5 लाख से ज्यादा डिसलाइक मिला था. संभवत इसका कारण था NEET-JEE और विभिन्न सरकारी नौकरियों के अभ्यर्थियों का गुस्सा,जो रिजल्ट निकलने, नोटिफिकेशन आने और एडमिट कार्ड जारी होने में देरी को लेकर नाराज थे. किसान विरोध प्रदर्शन के बीच भी मोदी के वीडियोज पर डिसलाइक की संख्या बढ़ गई थी.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

नेगेटिव कमेंट्स

सिर्फ डिसलाइक्स ही नहीं इन वीडियोज पर बड़ी संख्या में नेगेटिव कमेंट्स भी है. चलिए पीएम मोदी के यूट्यूब चैनल के 'जहां बीमार, वहीं उपचार' टाइटल वाले वीडियो का उदाहरण लेते हैं. हमारे द्वारा टॉप 100 कमेंट्स के विश्लेषण से पता चला कि 88 कमेंट नेगेटिव,8 पॉजिटिव जबकि 4 न्यूट्रल थे.

नेगेटिव कमेंट में प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग, 'ड्रामा'करने का आरोप से लेकर 'बात कम और वैक्सीन दो' की प्रतिक्रिया थी. पॉजिटिव कमेंट में मुख्यतः हाथ जोड़े इमोजी थे जबकि कुछ अन्य का मत था कि 'हम मोदी के साथ हैं,चाहे जो हो जाए'.

यह रहा लेटेस्ट कमेंट का सैंपल

किसी नेता के सार्वजनिक रूप से रोने के मायने क्या हैं?
किसी नेता के सार्वजनिक रूप से रोने के मायने क्या हैं?
ADVERTISEMENTREMOVE AD

जब नेता रोता है

सार्वजनिक मंच पर नेता के रोने में एक रिस्क है,लोग उसका अर्थ कमजोरी से लगा सकते हैं. इसका आधार यह दुर्भाग्यपूर्ण सिद्धांत है कि नेता को भावहीन, आम इंसानों से अलग और यहां तक की जड़ होना चाहिए. लेकिन कई बार आंसू लोगों और नेताओं के बीच भावनात्मक सेतु का काम करती है. यह तब होता है जब नेता उसी भावना को प्रकट कर रहा हो जो लोगों में पहले से हो या उसका रोना लोगों में रक्षात्मक और सहानुभूति की भावना जगा दे.

यह अब और भी ज्यादा संभव है क्योंकि हर एक लम्हे को अब विजुअली रिकॉर्ड किया जा सकता है और मिनटों में वायरल भी. मोदी पहले बड़े भारतीय राजनेता नहीं है जिन्होंने सार्वजनिक तौर पर आंसू बहाये हैं और निःसंदेह अंतिम भी नहीं होंगे.

कहा जाता है कि प्रधानमंत्री नेहरू तब रोने लगे थे जब उन्होंने लता मंगेशकर के द्वारा 1962 के चीन युद्ध में शहीद सैनिकों के सम्मान में 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गाना गाते सुना था. 1996 में प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के पहले एक इंटरव्यू में अटल बिहारी वाजपेयी भी रोए थे. दूसरे बीजेपी कद्दावर नेता- लालकृष्ण आडवाणी-सार्वजनिक मंचों पर रोने के लिए जाने जाते हैं, मुख्यतः बीते बातों को दोहराता या सुनते समय. कहा जाता है कि वह विदु विनोद चोपड़ा के 'शिकारा' और आमिर खान के 'तारे जमीन पर' देखकर रोने लगे थे.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

मोदी को आडवाणी जैसे नेताओं से यह बात अलग करती है कि मोदी अधिकतर राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मौकों पर रोये,जब वह आलोचनाओं का सामना कर रहे थे. जैसे गुलाम नबी आजाद के विदाई के समय मोदी जब रोये तब वह नए कृषि कानूनों के माध्यम से भारतीय किसानों को हानि पहुंचाने के आरोप का सामना कर रहे थे. वह नवंबर,2016 में भी नोटबंदी के कारण पीड़ित लोगों की बात करते हुए रो पड़े थे.

यह तथ्य कि मोदी के आंसू तब निकले जब वह आलोचनाओं का सामना कर रहे थे, इस आरोप को मजबूती देता है कि यह काम वह आलोचनाओं से बचने या अपने ऊपर हो रहे हमले को नरम करने के लिए कर रहे हैं. 2012 में दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर भी यह आरोप लगा था, जब वह निर्भया रेप केस के बाद सार्वजनिक तौर पर रो पड़ी थी.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

ऑनलाइन प्रतिक्रिया मोदी की लोकप्रियता या उसमें कमी का शायद पर्याप्त सबूत ना हो. लेकिन जब 'मोदी भावुक हुए' वीडियो को जोरों शोरों से सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है ,तब लोगों का हंसना या उस पर संदेह करना यह दर्शाता है कि शायद यह बैकफायर कर गया .इससे उन्हें सहानुभूति नहीं मिली ना ही इसने आलोचनाओं की धार को धीमा किया. अधिक से अधिक यह कुछ क्षण के लिए लोगों का ध्यान भटका सकता है .

यह प्रतिक्रिया उसके ठीक उलट है जब भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के आंसू मीडिया से बातचीत में निकल आये थे. तब उसने आंदोलन में नई जान फूंक दी थी, विशेषकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें