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गहलोत के चक्रव्यूह में फंसेंगे पायलट, या 15 दिन में बदल जाएगा खेल?

विधानसभा सत्र से पहले गहलोत खेमे में हो सकती है तोड़फोड़

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राजस्थान के सियासी घमासान का अंत कब होगा ये तो अभी कोई नहीं जानता, लेकिन अब 14 अगस्त को विधानसभा सत्र बुलाया जा रहा है. जिसे लेकर सीएम अशोक गहलोत ने राज्यपाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. लेकिन सत्र को मंजूरी के बाद सबसे बड़ा सवाल ये है कि कांग्रेस के 19 बागी विधायक इसमें शामिल होंगे या नहीं? लेकिन अब कहा जा रहा है कि पायलट गुट राजस्थान विधानसभा सत्र में हिस्सा लेने के लिए तैयार है.

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एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक पायलट गुट ने कहा है कि वो 14 अगस्त को होने वाले विधानसभा सत्र में जरूर हिस्सा लेंगे. एनडीटीवी से बात करते हुए एक बागी विधायक ने कहा कि बिल्कुल हम लोग विधानसभा सत्र का हिस्सा जरूर बनेंगे.

अगर ऐसा वाकई में होता है तो राजस्थान के बागी विधायक करीब 1 महीने बाद फिर से राज्य में लौटेंगे. क्योंकि पिछले कई हफ्तों से वो हरियाणा के मानेसर में ठहरे हैं. हालांकि अभी तक साफ नहीं है कि पायलट गुट के विधायक कब राजस्थान लौटेंगे.

गहलोत का चक्रव्यूह तैयार

विधानसभा सत्र बुलाए जाने को लेकर गहलोत की बेताबी इसी बात की तरफ इशारा कर रही थी कि ये उनके लिए काफी फायदेमंद है. अब सत्र बुलाने की तारीख पर राज्यपाल की मुहर लग चुकी है तो ऐसे में इसे गहलोत के लिए एक बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है.

सचिन पायलट समेत 19 विधायकों के लिए ये सत्र किसी चक्रव्यूह से कम नहीं है. क्योंकि विधानसभा सत्र के लिए स्पीकर की तरफ से व्हिप जारी होता है. ऐसे में कांग्रेस विधायक अगर इसका एक बार फिर उल्लंघन करते हैं तो ये उन्हें अयोग्य घोषित करने में मददगार साबित होगा.

वहीं दूसरी तरफ जैसा कि बागी विधायकों की तरफ से कहा गया है कि वो सत्र में शामिल हो रहे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या वो फ्लोर टेस्ट के दौरान पार्टी व्हिप के खिलाफ वोट करेंगे? अगर ऐसा किया तो दल बदल कानून के तहत सीधे अयोग्य घोषित होंगे. इसका सीधा मतलब है कि बागी विधायकों के लिए ये विधानसभा सत्र मुसीबत खड़ी करने वाला है.

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15 दिन में पलट सकता है खेल?

हमने ये तो समझ लिया कि पायलट गुट के लिए विधानसभा सत्र आगे कुआं पीछे खाई जैसा है. लेकिन ये भी नहीं भूलना चाहिए कि अभी सत्र को बुलाए जाने में 15 दिन बाकी हैं. इन 15 दिनों में खेल पूरी तरह से पलट भी सकता है.

गहलोत सरकार बहुमत के आंकड़े से काफी नजदीक है. अगर दो विधायक भी टूटे तो सरकार फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित नहीं कर पाएगी. यही वजह है कि अशोक गहलोत 31 जुलाई को ही विधानसभा का सत्र बुलाना चाहते थे.

क्या हैं मौजूदा समीकरण?

राजस्थान में कुल 200 विधानसभा सीटें हैं. जिनमें से कांग्रेस के पास तोड़फोड़ से पहले तक अपने 107 विधायक थे. लेकिन पायलट समेत 19 विधायकों के चले जाने से अब कांग्रेस विधायकों की कुल संख्या 88 है. इसमें सीपीएम और भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो-दो विधायक और आरएलडी के एक विधायक को जोड़ दें तो आंकड़ा 93 तक पहुंच जाता है. लेकिन 13 निर्दलीय विधायकों में से 3 पायलट धड़े के बताए जा रहे हैं. ऐसे में अगर 10 निर्दलीय विधायकों को जोड़ लिया जाए तो 103 विधायक रह जाते हैं. अब ऐसे में गहलोत सरकार जादुई नंबर से सिर्फ 2 के आंकड़े से आगे है और राजनीति में 15 दिनों में सिर्फ दो या तीन विधायकों का टूटना इतना नामुमकिन नहीं है.

वहीं अगर बीजेपी की बात करें तो उसके पास 72 अपने और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के तीन विधायक हैं. यानी आंकड़ा 75 तक पहुंचता है. लेकिन अगर उस सूरत में देखा जाए, जब कांग्रेस के बागी विधायक और तीन निर्दलीय बीजेपी की तरफ आते हैं तो आंकड़ा 97 तक पहुंच जाएगा. जिसके बाद बीजेपी को सिर्फ 4 विधायकों की और जरूरत होगी. हालांकि अब तक तीन निर्दलीय विधायकों को लेकर स्थिति साफ नहीं हुई है.

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