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‘’गोरक्षा के नाम पर की पिटाई, मांगे पैसे, अब मिल रहीं धमकियां’’

पीड़ित शाकिर का कहना है कि घटना के दौरान वह चिल्लाते रहे, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी

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वीडियो एडिटर- प्रशांत चौहान

''यह भैंस का मांस है, यह भैंस का मांस है! मैं यह चिल्लाता रहा, लेकिन किसी ने मेरी नहीं सुनी. वे कहते रहे कि मैंने गाय को मारा है.'', 32 साल के ‘कसाई’ शाकिर ने यह बात बताई, जिनके साथ 23 मई को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में 'गोरक्षकों' ने मारपीट की थी.

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घटना के एक दिन के अंदर ही क्विंट ने उनसे बात की थी, लेकिन वह ठीक नहीं थे और तब बात करने में असमर्थ थे. उन्होंने बताया, "मेरा इलाज चल रहा था, मैं अब बेहतर हूं."

इस मामले में एक प्रत्यक्षदर्शी की शिकायत पर, FIR दर्ज की गई, अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है. हालांकि, मुख्य आरोपी मनोज ठाकुर, जो खुद को भारतीय गोरक्षा वाहिनी का उपाध्यक्ष बताता है, अभी भी फरार है. हालांकि यह संगठन मनोज को अस्वीकार करता है.
पीड़ित शाकिर का कहना है कि घटना के दौरान वह चिल्लाते रहे, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी

मनोज के खिलाफ FIR में पांच अन्य का नाम भी आरोपी के तौर पर है. इनमें प्रदीप, बाबू, गुलशन उर्फ गुली, सुमित, विजय और चार से पांच अज्ञात व्यक्ति शामिल हैं. इन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 506 (आपराधिक धमकी), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियार से लैस), 149 (गैरकानूनी जमावड़ा), 389 (जबरन वसूली), 386 (मौत का डर दिखाकर जबरन वसूली), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

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शिकायतकर्ता जुनैद ने हमें बताया था कि कैसे उन्होंने शाकिर को एक पेड़ से बंधा हुआ देखा और फिर एक घंटे तक शाकिर को पीटा गया. हमने शाकिर से बात की तो उन्होंने हमें बताया कि उस वक्त क्या हुआ था.

‘’मैं भैंस का मांस ले रहा था तभी इन लोगों ने मुझे रोका और चारों तरफ से घेर लिया. मेरे वाहन से उतरते ही इन लोगों ने मुझे पीटना शुरू कर दिया. मनोज ठाकुर ग्रुप का नेतृत्व कर रहा थे, आठ से दस अन्य लोग थे.’’
शाकिर

इसके आगे शाकिर ने कहा, ''उन्होंने मुझे एक पेड़ से बांध दिया और पीटना शुरू कर दिया.''

शाकिर ने बताया, ‘’वे लोग मुझसे 50 हजार रुपये की मांग करते रहे. उन्होंने मेरे कान पर जोर से मारा. उन्होंने कहा कि मुझे घर फोन करना चाहिए और जल्दी से उन्हें देने के लिए 50000 रुपये की व्यवस्था करनी चाहिए और फिर वे मुझे जाने देंगे. ठाकुर ने यह भी कहा कि मुझे अपना काम करते रहने के लिए उन्हें हर महीने अतिरिक्त 25000 रुपये देने होंगे. उसने धमकी दी और कहा कि अगर मैंने भुगतान नहीं किया तो वे मुझ पर गोहत्या के आरोप लगाते रहेंगे.’’

ठाकुर गर्व के साथ खुद को जिस भारतीय गोरक्षा वाहिनी से जुड़ा हुआ बताता है, उसके अध्यक्ष राकेश सिंह परिहार के मुताबिक, उसको 6 महीने पहले बाहर कर दिया गया था. परिहार ने बताया, “लोगों से पैसे लेने जैसी हरकतें थीं, जिसके कारण आखिरकार हमने उसे छह महीने पहले बाहर कर दिया. यहां तक कि संघ के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने भी कहा कि यह आदमी सही नहीं है.”

पीड़ित शाकिर का कहना है कि घटना के दौरान वह चिल्लाते रहे, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी
राकेश सिंह परिहार ने ठाकुर के दावे से अलग बात कही
(फोटो: क्विंट)
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शाकिर को पीटे जाने के बाद जब तक पुलिस आई, तब तक ठाकुर मौके और इलाके से भाग चुका था, लेकिन तब तक वह स्थानीय पत्रकारों को इंटरव्यू दे चुका था. इंटरव्यू में उसने स्वीकार किया कि उसने पीड़ित पर हमला किया, लेकिन कहा कि उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उस पर हमला हुआ था. हालांकि इस आरोप का कोई सबूत नहीं है.

‘’मुझे बचाने के लिए कोई आगे नहीं आया. एक व्यक्ति भी नहीं. हर कोई उससे (ठाकुर) डरता है. वह वहां मौजूद लोगों को धमकाता रहा और सभी को यह कहते हुए वीडियो बनाने से रोकता रहा कि वह उन्हें मार डालेगा.’’
शाकिर

शाकिर का कहना है कि घटना के बाद से उनको लगातार धमकियां दी जा रही हैं. उन्होंने बताया, ''धमकियां हर दिन आती हैं और हर कोई मुझ पर समझौता करने और केस वापस लेने का दबाव बना रहा है."

शाकिर हर दिन डर के साए में जी रहे हैं. उन्होंने कहा, "मैंने सोचा था कि वे मुझे मारने जा रहे थे." यह पूछे जाने पर कि वह सरकार से क्या उम्मीद करते हैं, उन्होंने कहा, "मैं चाहता हूं कि मेरे राज्य के साथ, सरकार मेरी भी देखभाल करे, मेरी सुरक्षा सुनिश्चित करे ताकि मुझ पर कोई हमला न हो."

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