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15 एशियाई देशों ने सबसे बड़ी ट्रेड-डील साइन की, भारत शामिल नहीं

कैसे प्रभाव में आएगा एग्रीमेंट?

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चीन, जापान और साउथ कोरिया समेत एशिया-पैसिफिक क्षेत्र के 15 देशों ने 15 नवंबर को दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय फ्री-ट्रेड एग्रीमेंट साइन किया. इस एग्रीमेंट में लगभग दुनिया की एक-तिहाई जनसंख्या और ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (जीडीपी) शामिल हुई.

एग्रीमेंट साइन करने वाले 15 देशों में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशंस के 10 सदस्य भी शामिल हैं. इस एग्रीमेंट को रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) नाम दिया गया है. इसे 37th Asean समिट के आखिरी दिन साइन किया गया. ये समिट इस साल वियतनाम ने वर्चुअली होस्ट किया था.

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वियतनाम के प्रधानमंत्री ने वर्चुअल साइनिंग सेरेमनी से पहले कहा, “बातचीत का पूरा होना मल्टीलेटरल ट्रेड सिस्टम को समर्थन देने में Asean की भूमिका पक्का करने का संदेश है.” उन्होंने कहा, “महामारी की वजह से नष्ट हुईं सप्लाई चेन को दोबारा डेवलप करने का काम ये एग्रीमेंट करेगा और साथ ही इकनॉमिक रिकवरी में भी मदद देगा.” 

कैसे प्रभाव में आएगा एग्रीमेंट?

सिंगापुर के ट्रेड और इंडस्ट्री मंत्री चान चुन सिंग ने एग्रीमेंट साइन किए जाने के बाद मीडिया से कहा, "न्यूनतम छह Asean देशों के साथ-साथ तीन गैर-Asean देशों के पुष्टि करने के बाद ही ये एग्रीमेंट प्रभाव में आएगा." सिंग ने बताया कि सिंगापुर 'अगले कुछ महीनों में' इस डील को मंजूरी देगा.

सिंगापुर के ट्रेड और इंडस्ट्री मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए एक बयान के मुताबिक, इस एग्रीमेंट से सहयोगी देशों के बीच ट्रेड किए जाने वाले सामान पर कम से कम 92% का टैरिफ खत्म हो जाएगा और ऑनलाइन कंज्यूमर और पर्सनल इंफॉर्मेशन प्रोटेक्शन, पारदर्शिता और पेपरलेस ट्रेडिंग जैसे मामलों को बढ़ावा मिलेगा. इस एग्रीमेंट से कस्टम प्रक्रिया को आसान बनाया जाएगा.

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भारत ने छोड़ा था एग्रीमेंट

भारत ने पिछले साल के आखिर में इस एग्रीमेंट को छोड़ दिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि ‘RCEP भारतीयों की आजीविका को किस तरह प्रभावित करेगा, इन चिंताओं पर हम इसे छोड़ रहे हैं.’ हालांकि, भारत बाद में भी इस ट्रेड एग्रीमेंट को जॉइन कर सकता है.  

S&P ग्लोबल रेटिंग्स में एशिया-पैसिफिक चीफ इकनॉमिस्ट शॉन रॉचे ने कहा, "भारत को बाद में कभी भी शामिल होने की इजाजत देने वाला क्लॉस प्रतीकात्मक है और क्षेत्र की तीसरी-सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ आर्थिक रिश्तें सुधारने की चीन की इच्छा को दिखाता है."

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