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चीफ गेस्ट मल्लिका साराभाई के बगैर हुआ NID दीक्षांत समारोह

मल्लिका साराभाई ने सीएए विरोधी प्रदर्शन में हिस्सा लिया था. वह सरकार की नीतियों की आलोचक रही हैं

Published
भारत
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एक महीने से भी ज्यादा समय से स्थगित रहने के बाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन का 40वां दीक्षांत समारोह 7 मार्च को संपन्न हुआ. कथित तौर पर समारोह की मुख्य अतिथि को लेकर हुए विवाद के बाद दीक्षांत समारोह को एक महीने के लिए आगे बढ़ा दिया गया था. 7 फरवरी को इस समारोह को निर्धारित किया गया था, तब इसकी मुख्य अतिथि सामाजिक कार्यकर्ता और क्लासिकल डांसर मल्लिका साराभाई थीं.

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फरवरी में जब इस समारोह को स्थगित कर दिया गया था तो साराभाई ने आरोप लगाया कि कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया और उन्हें इसे रद्द करने का कोई कारण नहीं बताया गया.

उल्लेखनीय है कि मल्लिका साराभाई मोदी सरकार की मुखर आलोचक रही हैं और उन्होंने CAA के विरोध प्रदर्शनों में सक्रिय रूप से भाग लिया था.

छात्रों ने एंटी-सीएए प्रदर्शनकारियों के साथ दिखाई थी एकजुटता

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया कि, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन के 50 से अधिक छात्रों ने बांह पर काली पट्टी बांध कर सार्वजनिक रूप से सीएए प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया था. इस वजह से दीक्षांत समारोह में काफी संख्या में छात्र शामिल नहीं हुए थे और छात्रों को डिग्री नहीं मिल पाई थी. रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसा पहली बार हुआ जब इंस्टीट्यूट को अपने दीक्षांत समारोह के लिए मुख्य अतिथि नहीं मिल पाया.

मुझे भाषण देने की अनुमति नहीं थी: मल्लिका साराभाई

मुख्य अतिथि और आयोजन की देरी पर कॉलेज के अधिकारी की परेशानियों को लेकर मल्लिका साराभाई ने फेसबुक पोस्ट कर कहा, ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि, राष्ट्र के बारे में उनके विचार भारत को चलाने वाली विचारधाराओं के विपरीत हैं.

साराभाई ने समारोह को लेकर फेसबुक पोस्ट लिखा है, जिसका शीर्षक उन्होंने दिया 'मुझे भाषण देने की अनुमति नहीं थी' इसमें उन्होंने भाषण के बारे में जानकारी दी जो वह समारोह में देनेवाली थी.

पोस्ट में उन्होंने भारत की अंतर्निहित विशिष्टता, संस्कृति, भाषाओं, विविधता, शिल्प, खाद्य पदार्थ, आवास, कला, विश्वास और उनकी अभिव्यक्तियों को बताया. साथ ही संक्षेप में भारत के इतिहास का उल्लेख करते हुए साराभाई ने पोस्ट में सत्ताधारी पर टिप्पणी की

उन्होंने कहा, एक व्यक्ति और राष्ट्र के तौर पर खुद को पहचानने की जरूरत है. हम ब्रांड एंबेसडर और डर के सौदागरों के हाथों बिका हुआ न महसूस करें. हमें एक साफ रास्ता ढूंढना होगा, जिसके जरिए मानवता और करुणा की दुनिया बनाई जा सके. हमें ऐसी दुनिया बनानी होगी जहां असहमतियों को भी स्वीकार किया जा सके.

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