सीजेआई एसए बोबडे ने निर्भया मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. उन्होंने कहा है कि हम 18 दिसंबर को इस मामले पर सुनवाई के लिए दूसरी बेंच का गठन करेंगे.
बता दें कि सीजेआई बोबडे की अगुवाई वाली बेंच के सामने निर्भया केस के एक दोषी की पुनर्विचार याचिका का मामला आया था. इस पुनर्विचार याचिका में अक्षय कुमार सिंह नाम के दोषी ने उसकी फांसी की सजा को बरकरार रखने के शीर्ष अदालत के 2017 के फैसले की समीक्षा की मांग की है.
उसके वकील ने यह दलील देते हुए दया की मांग की है कि दिल्ली में बढ़ते वायु और जल प्रदूषण के चलते वैसे ही उम्र छोटी हो रही है.
निर्भया की मां ने भी (अक्षय की) इस अर्जी का विरोध करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है.
जस्टिस बोबडे के मामले से अलग होने के बाद निर्भया की मां ने कहा, ‘’मैं उम्मीद कर रही थी कि आज (17 दिसंबर) को पुनर्विचार याचिका खारिज हो जाएगी. हमने 7 साल इंतजार किया है, हम एक और दिन इंतजार करेंगे. उम्मीद है कि कल पुनर्विचार याचिका खारिज हो जाएगी.’’
पिछले साल 9 जुलाई को शीर्ष अदालत ने 3 अन्य दोषियों- मुकेश (30), पवन गुप्ता (23) और विनय शर्मा (24) की पुनर्विचार याचिकाएं यह कहते हुए खारिज कर दी थीं कि 2017 के फैसले की समीक्षा के लिए कोई आधार नहीं है.
16 दिसंबर, 2012 की रात दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा (निर्भया) का गैंगरेप किया गया था और उस पर नृशंस हमला करके उसे चलती बस से बाहर फेंक दिया था. उसकी 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गई थी.
इस मामले के एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रूप से खुदकुशी कर ली थी. एक अन्य आरोपी नाबालिग था, जिसे किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराया था. उसे तीन साल तक सुधार गृह में रखने के बाद रिहा कर दिया गया था. शीर्ष अदालत ने 2017 में इस मामले के बाकी चार दोषियों को निचली अदालत और दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा सुनाई गई फांसी की सजा को बरकरार रखा था.
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