निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के दोषियों ने फांसी पर लटकाए जाने से पहले कोई भी आखिरी इच्छा नहीं बताई. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने संबंधित अधिकारियों के हवाले से यह जानकारी दी है.
अधिकारियों ने बताया, ‘’दोषियों ने अथॉरिटीज को किसी आखिरी इच्छा या वसीयतनामा के बारे में नहीं बताया.’’
जेल मैनुअल के मुताबिक, जेल सुपरिंटेंडेंट और डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट या एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में कैदी के वसीयतनामा सहित किसी भी दस्तावेज पर हस्ताक्षर कराए जा सकते हैं और उसे अटेस्ट किया जा सकता है.
बता दें कि निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के चारों दोषियों को 20 मार्च को सुबह 5:30 बजे फांसी दे दी गई. दिल्ली की तिहाड़ जेल में मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को फांसी दी गई है.
23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा (निर्भया) से 16 दिसंबर, 2012 को दक्षिणी दिल्ली में एक चलती बस में गैंगरेप किया गया था और उस पर बर्बरता से हमला किया गया था. निर्भया की बाद में सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में मौत हो गई थी, जहां उसे बेहतर चिकित्सा के लिए ले जाया गया था.
निर्भया मामले में चारों दोषियों और एक नाबालिग सहित छह व्यक्ति आरोपी के तौर पर नामजद थे. छठे आरोपी राम सिंह ने मामले की सुनवाई शुरू होने के कुछ दिनों बाद तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी. एक सुधार गृह में तीन साल गुजारने के बाद 2015 में नाबालिग को रिहा कर दिया गया था.
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