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नोबेल कमेटी को गांधी को पुरस्कार न देने का अफसोस सालता रहेगा

इसका आभास और अफसोस कमिटी को होता रहेगा आज का ट्वीट इसकी बानगी पेश करता है!

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इस आर्टिकल को पढ़ने से पहले इस ट्वीट पर नजर डालिए:

ये ट्वीट 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती के मौके पर नोबेल प्राइज कमेटी के आॅफिशियल ट्विटर हैंडल से किया गया है. ट्वीट में लिखा है:

“कई वजहे हैं, जिनके लिए मैं मरने के लिए तैयार हूं. लेकिन ऐसी कोई वजह नहीं है, जिससे मैं किसी की जान ले लूं” आज, 2 अक्टूबर, अंतरराष्‍ट्रीय अहिंसा दिवस, महात्मा गांधी का जन्मदिन है. गांधी को 12 बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नाॅमिनेट किया गया था.

द नोबेल प्राइज हैंडल से महात्मा गांधी की तस्वीर और उनका एक प्रसिद्ध वक्तव्य गांधी की 150वीं जयंती पर शेयर किया गया.

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नोबेल प्राइज कमेटी को अफसोस!

दुनियाभर में महात्मा गांधी के कामों को सराहा गया. उन्‍होंने अपने विचारों से दुनिया को प्रभावित किया, इसके बावजूद उन्‍हें कभी नोबेल पुरस्कार से सम्मानित नहीं किया गया. ये नोबेल कमेटी के सबसे खराब फैसलों में से एक रहा. ताजा ट्वीट से नोबेल प्राइज कमेटी के अफसोस की झलक दिखती है.

पहले भी कई बार इस कमेटी से जुड़े लोग स्वीकार कर चुके हैं कि महात्मा गांधी को शांति का नोबेल पुरस्कार नहीं देना उस समय की एक बड़ी चूक थी.

साल 2006 में नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी के सेक्रेटरी गेर लुंडेस्टेड ने कहा, "हमारे 106 साल के इतिहास की सबसे बड़ी कमी ये रही कि महात्मा गांधी को नोबेल शांति पुरस्कार कभी नहीं मिला.”

गांधी को नोबेल प्राइज नहीं मिलने से कोई फर्क नहीं पड़ा, लेकिन नोबेल प्राइज को गांधी को नहीं नवाजे जाने से कितना नुकसान हुआ, यह डिबेट का विषय हो सकता है.
गेर लुंडेस्टेड

उनके इस बयान का मतलब था कि गांधी को नोबेल शांति पुरस्कार न मिलने से उनकी छवि पर कोई फर्क नहीं पड़ा, लेकिन इसका फर्क नोबेल कमेटी की छवि पर जरूर पड़ा.

महात्मा गांधी को नोबेल न दिए जाने पर नोबेल कमेटी के कई सदस्यों ने बाद में खेद प्रकट किया था. 1989 में दलाई लामा को शांति का नोबेल प्राइज देते वक्त कमेटी के चीफ ने प्राइज को गांधी को समर्पित किया था.

हालांकि आज महात्मा गांधी का नाम और कद इतना बड़ा है कि नोबेल पुरस्कार उनके सामने छोटा पड़ जाता है. इसका आभास और अफसोस कमेटी को होता रहेगा. आज का ट्वीट भी इसकी ही बानगी पेश करता है.

जानिए क्यों महात्मा गांधी को मिलते-मिलते रह गया नोबेल पीस प्राइज?

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