दिल्ली में प्रदूषण (Delhi Pollution) पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि वह अपने कर्मचारियों को घर से काम कराने के पक्ष में नहीं है, बता दें कि दिल्ली सरकार ने इससे पहले 17 नवंबर तक स्कूल बंद किए थे और सरकारी कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम दिया था. केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया है कि कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए नहीं कह सकती क्योंकि कोविड महामारी के बाद कार्यालयों में कामकाज सामान्य होता जा रहा है.
केंद्र ने एक हलफनामे में कहा कि एनसीआर में केंद्र सरकार के कारोबार के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले वाहनों की संख्या बहुत महत्वपूर्ण नहीं थी, इसलिए "केंद्र सरकार ने फैसला किया कि केंद्र सरकार के कार्यालयों के कामकाज के हालिया सामान्य होते हालात को देखते हुए, कोविड की महामारी के बाद, वर्क फ्रॉम होम डायरेक्शन न पास करने का फायदा वर्क फ्रॉम होम डायरेक्शन से मिलने वाले फायदों से अधिक होगा.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान CJI ने पूछा कि प्रदूषण रोकने के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं, जिसके जवाब में सॉलिसिटर तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली के 300 किलोमीटर में 11 थर्मल प्लांटों में से, केवल 5 काम कर रहे हैं. बाकी को बंद कर दिया गया है और अगर जरूरत पड़ी तो इस दायरे दूसरे संयंत्रों को भी बंद किया जा सकता है. केंद्रीय कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम करने के लिए कहा गया है, लेकिन संख्या बहुत अधिक नहीं है, ऐसे में उन्हें कार पूल करने की सलाह दी गई है.
बता दें कि दिल्ली सरकार ने बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए स्कूल और कॉलेज 21 नवंबर तक बंद रखने का फैसला लिया है. इससे पहले दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने 17 नवंबर तक के लिए स्कूलों को बंद करने का ऐलान किया था. जिसे अब बढ़ाया गया है क्योंकि अभी भी दिल्ली में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)