दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त संजय पांडे को जमानत देने से इनकार कर दिया, जिन्हें कथित तौर पर एनएसई की पूर्व सीईओ और एमडी चित्रा रामकृष्ण के निर्देश पर 2009 और 2017 के दौरान नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के कर्मचारियों के फोन टैपिंग से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले (NSE phone tapping case) में गिरफ्तार किया गया था।
विशेष न्यायाधीश सुनेना शर्मा ने पूर्व पुलिस अधिकारी की जमानत अर्जी खारिज कर दी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मंगलवार को पांडे को 16 अगस्त तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।
उसे 19 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था।
सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता तनवीर अहमद मीर ने तर्क दिया कि उनका मुवक्किल वास्तव में एनएसई में एक व्हिसलब्लोअर था।
याचिका का विरोध करते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस.वी. राजू और विशेष लोक अभियोजक एन.के. मट्टा, ईडी की ओर से पेश हुए, और बताया कि पांडे एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं।
सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर रामकृष्ण पहले से ही इसी मामले में ईडी की हिरासत में हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर जांच एजेंसी ने मामला दर्ज किया था। इससे पहले सीबीआई ने सीबीआई के मुंबई स्थित मुख्यालय में पांडे का बयान दर्ज किया था।
पूछताछ के बाद उन्हें जाने दिया गया। सीबीआई ने मामले के सिलसिले में मुंबई, पुणे और देश के कई अन्य हिस्सों में भी छापेमारी की थी।
पांडे आईसेक सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड चलाते थे। यह आरोप लगाया गया है कि रामकृष्ण ने एनएसई के कर्मचारियों के फोन टैप करने के लिए इस फर्म का इस्तेमाल किया। एनएसई कर्मचारियों द्वारा सुबह 9 बजे से 10 बजे के बीच किए गए फोन कॉल को टैप किया गया और आईसेक सिक्योरिटीज द्वारा रिकॉर्ड किया गया। यह आरोप लगाया गया है पांडे ने फोन कॉल्स को अवैध रूप से टैप करने में मदद की।
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