भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच करने वाली आंतरिक कमेटी से जस्टिस एनवी रमण हट गए हैं. दरअसल, इस मामले की शिकायतकर्ता महिला ने बुधवार को आंतरिक जांच कमेटी को लिखे लेटर में दावा किया था कि जस्टिस रमण सीजेआई के करीबी मित्र हैं और उनके परिवार के सदस्य की तरह हैं. ऐसे में महिला ने आशंका जताई कि शायद उनके हलफनामे और सबूतों की निष्पक्ष सुनवाई ना हो पाए.
सुप्रीम कोर्ट की पूर्व महिला कर्मचारी ने सीजेआई के खिलाफ 19 अप्रैल को लगाए आरोपों में कहा था कि सीजेआई ने पहले उनका सेक्सुअल हैरेसमेंट किया, फिर उन्हें नौकरी से बर्खास्त करवा दिया.
इन आरोपों की जांच के लिए जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई में आतंरिक जांच कमेटी का गठन किया गया. जस्टिस बोबडे ने इस कमेटी में जस्टिस एनवी रमण और जस्टिस इंदिरा बनर्जी को शामिल किया था.
आतंरिक जांच कमेटी ने शिकायताकर्ता महिला को नोटिस जारी किया था. इससे बाद महिला ने इस कमेटी को एक लेटर लिखा था. इस लेटर में महिला ने कहा था, ''बिना किसी वजह के और मेरी बात सुने बिना ही मेरे चरित्र को नुकसान पहुंचाया गया. कहा गया कि मेरे खिलाफ आपराधिक मामले हैं. ऐसी खबरें पढ़ने के बाद मैं भयभीत हो गई हूं और असहाय महसूस कर रही हूं.''
शिकायतकर्ता महिला ने की थी निष्पक्ष जांच की मांग
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी ने कमेटी से कहा, ''मैं सिर्फ यह कह रही हूं कि सुनवाई के दौरान आप मेरे डर और आशंकाओं को ध्यान में रखें. मैंने काफी कुछ झेला है. मुझे पता है कि मेरे पास कोई पद या स्टेटस नहीं है. आपके सामने रखने के लिए मेरे पास सिर्फ सच है. मुझे न्याय तभी मिलेगा, जब मेरे मामले की निष्पक्ष सुनवाई होगी.'' महिला ने कहा है कि इस मामले की जांच विशाखा गाइडलाइन्स के साथ की जानी चाहिए.
महिला ने अपने लेटर में वित्त मंत्री अरुण जेटली की टिप्पणी पर भी चिंता जताई. उन्होंने लिखा, ‘’एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री के ब्लॉग में भी मेरी आलोचना की गई. इन घटनाओं से मैं काफी डरी हुई हूं और तनाव महसूस कर रही हूं.’’
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