करतारपुर कॉरिडोर को लेकर पाकिस्तान की तरफ से कुछ शर्तें सामने आई हैं, जिनमें वो श्रद्धालुओं की संख्या को सीमित करना चाहता है. सिखों के पहले गुरुनानक देव की कर्मस्थली करतारपुर पर कॉरिडोर बनाने को लेकर हाल ही में दोनों देश राजी हुए हैं.
पाकिस्तान सरकार ने करतारपुर के दरबार साहिब गुरद्वारे में श्रद्धालुओं के दर्शन को लेकर 14 प्वॉइंट्स का एक प्रपोजल तैयार किया है. पाकिस्तानी मीडिया में लीक हुए इस प्रस्ताव के मुताबिक वहां की सरकार रोजाना आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या को 500 तक सीमित रखना चाहती है. इन श्रद्धालुओं को परमिट दिया जाएगा, जिसमें 15-15 यात्रियों का जत्था दर्शन करेगा.
दर्शन के लिए वीजा की जरुरत नहीं पड़ेगी, लेकिन पासपोर्ट और सुरक्षा मंजूरी सभी के लिए अनिवार्य की गई है.
इसके साथ ही करतारपुर जाने वाले यात्रियों की जानकारी भारत को तीन दिन पहले ही पाकिस्तान को देनी होगी. ये कॉरिडोर यात्रियों के लिए सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक के लिए खुलेगा.
दोनों देश दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं का डाटाबेस तैयार करेंगे. वहीं अगर श्रद्धालुओं के बीच किसी भी तरह का विवाद होता है, तो इसे कूटनीतिक तरीके से सुलझाया जाएगा. प्रपोजल के मुताबिक पाकिस्तानी सरकार ने किसी भी समय यात्रियों को मना करने का अधिकार भी अपने पास रखा है.
भारत को अभी नहीं मिला प्रपोजल
रिपोर्ट्स के मुताबिक करतारपुर कॉरिडोर को लेकर ये ड्राफ्ट तैयार है, लेकिन इसे अभी तक भारत के सामने पेश नहीं किया गया है.
भारत की तरफ से करतारपुर कॉरिडोर की नींव 26 नवंबर को उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने डेरा बाबा वावत से अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर तक रखी थी. इसके बाद 28 नवंबर को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाकिस्तान की तरफ से इस कॉरिडोर की नींव रखी. इसे नवंबर 2019 में गुरु नानक की 550वीं जयंती पर खोलने का प्लान है. ये कॉरिडोर पाकिस्तान के करतारपुर स्थित दरबार साहिब को भारत के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक गुरद्वारे को जोड़ेगा.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)