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तेजाब कांड: हाईकोर्ट ने शहाबुद्दीन की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी

साल 2004 में तेजाब से नहलाकर दो लोगों की हत्या कर दी गई थी

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पटना हाईकोर्ट ने साल 2004 के बहुचर्चित तेजाब कांड में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी.

जस्टिस केके मंडल और जस्टिस संजय कुमार ने शहाबुद्दीन की याचिका खारिज कर दी. शहाबुद्दीन ने सीवान की एक स्पेशल कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी.

करीब 13 साल पहले एक निमार्णाधीन मकान को लेकर हुए विवाद के बाद सीवान निवासी चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदाबाबू के दो बेटों, गिरीश और सतीश का अपहरण करके तेजाब से नहलाकर उनकी हत्या कर दी गई थी.

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सीवान के स्पेशल कोर्ट ने 11 दिसंबर, 2015 को इस मामले में मोहम्मद शहाबुद्दीन, राजकुमार साह, मुन्ना मियां और शेख असलम को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. तेजाब कांड में जान गंवाने वाले युवकों की मां कलावती देवी ने सीवान के थाने में केस दर्ज कराया था.

चश्‍मदीद ने पूरी वारदात का जिक्र किया था

गिरीश और सतीश के बड़े भाई राजीव रोशन ने खुद को इस घटना का चश्मदीद गवाह बताते हुए 6 जून, 2011 को अपना बयान दर्ज कराया था. राजीव ने खुलासा किया था कि उसके दो भाइयों का ही नहीं, बल्कि उसका भी अपहरण किया गया था. उसके दोनों भाइयों की हत्या उसकी आंखों के सामने पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के पैतृक गांव प्रतापपुर में तेजाब से नहलाकर की गई थी.

चश्मदीद ने कोर्ट में बताया था कि वह किसी तरह वहां से जान बचाकर भागा था और गोरखपुर में छिपकर अपना गुजर-बसर कर रहा था. राजीव की 16 जून 2014 को सीवान में डीएवी मोड़ पर ओवरब्रिज के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

इस मामले में चंदाबाबू ने मोहम्मद शहाबुद्दीन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी. इस केस में सीवान की एक स्पेशल कोर्ट ने 2015 में शहाबुद्दीन को आजीवन करावास की सजा सुनाई थी. शहाबुद्दीन को फरवरी महीने में सीवान जेल से दिल्ली की तिहाड़ जेल ट्रांसफर कर दिया गया था.

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