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फाइजर को 2 माह पहले जिन नियमों में किया था मना, अब उन्हीं में छूट

विदेशी कोरोना वैक्सीन को फास्ट ट्रैक मंजूरी में किन नियमों की अनदेखी करने जा रही सरकार, कैसे करेगी सेफ्टी की गारंटी?

Published
भारत
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भारत में लगभग हर रोज COVID-19 के मामले नया रिकॉर्ड बना रहे हैं. ऐसे में सरकार ने देश में कोरोना वायरस वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए विदेश में बनी वैक्सीनों को मंजूरी देने की प्रक्रिया तेज कर दी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, प्रमुख विदेशी वैक्सीन के एलिजिबल मैन्युफैक्चरर्स को अब भारत में अलग से लोकल क्लीनिकल ट्रायल करने की जरूरत नहीं होगी.

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विदेशी वैक्सीन के लिए क्या बदलेगा?

द न्यू ड्रग्स एंड क्लिनिकल ट्रायल रूल्स, 2019 के मुताबिक, जब भी कोई विदेशी निर्माता भारत में अपनी वैक्सीन को आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी दिए जाने का अनुरोध करता है, तो उसे लोकल क्लिनिकल ट्रायल्स के नतीजे पेश करने होते हैं. इन ट्रायल को ब्रिजिंग ट्रायल कहा जाता है, जिनमें सेफ्टी और इम्युनोजेनेसिटी डेटा जुटाने के लिए फेज 2/3 की स्टडी की जाती है.

इसी नियम के आधार पर सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का, और डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज ने रूसी Sputnik V वैक्सीन का ब्रिजिंग ट्रायल किया. इसके बाद ही उनको भारत में वैक्सीन के आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिली.
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हालांकि, अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, अगर किसी वैक्सीन को दूसरे देश के ड्रग रेग्युलेटर ने मंजूरी दे दी हो तो भारत के ड्रग रेग्युलेटर के पास उस वैक्सीन को कुछ शर्तों के साथ नियमों में छूट देने का अधिकार होता है, जैसे संबंधित वैक्सीन की वजह से "कोई बड़ी अप्रत्याशित गंभीर प्रतिकूल घटना दर्ज न की गई हो."

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अब भारत ने विदेशी वैक्सीन के लिए लोकल फेज 2-3 ट्रायल वाले नियम में छूट देने का फैसला किया है.

अभी भी विदेशी वैक्सीन के लिए ये शर्त जरूरी

स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि सरकार ने फैसला किया है कि COVID-19 के ऐसे टीकों को भारत में आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी जा सकती है जो विदेश में विकसित और निर्मित हैं और जिन्हें अमेरिका, यूरोप, ब्रिटेन या जापान में नियामकों की ओर से सीमित इस्तेमाल के लिए आपात मंजूरी मिल चुकी है या जिन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की इमरजेंसी यूज लिस्ट में शामिल किया गया है.

सरकार ने कहा है कि सुरक्षा कारणों से इस तरह के विदेश में बने टीकों के पहले 100 लाभार्थियों के स्वास्थ्य पर सात दिन नजर रखी जाएगी, जिसके बाद देश के टीकाकरण कार्यक्रम में इन टीकों का इस्तेमाल किया जाएगा.
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फाइजर वैक्सीन के मामले में यूटर्न?

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने मंगलवार को एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा था, ‘‘हम टीका निर्माताओं जैसे कि फाइजर, मॉडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन और बाकी को आमंत्रित करते हैं...कि जल्द से जल्द भारत आने की तैयारी करें.’’

हालांकि अब सरकार ने बाकी कंपनियों के साथ जिस फाइजर कंपनी को आमंत्रित किया है, उसने ब्रिटेन और बहरीन में जरूरी मंजूरी हासिल करने के बाद अपने टीके के लिए दिसंबर में भारत के ड्रग रेग्युलेटर (DCGI) से अनुमति मांगी थी. इसके बाद केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की विषय विशेषज्ञ समिति (SEC) ने फाइजर के आवेदन पर विचार किया था और उसकी वैक्सीन को मंजूरी देने के खिलाफ सिफारिश की थी. SEC की फरवरी की सिफारिश में कहा गया था, ‘‘कंपनी ने भारतीय आबादी के हिसाब से सेफ्टी और इम्युनिटी संबंधी आंकड़ा तैयार करने का भी कोई प्रस्ताव नहीं दिया. विस्तृत विचार-विमर्श के बाद समिति ने इस फेज में देश में (वैक्सीन के) आपात इस्तेमाल की सिफारिश नहीं की.’’ इसके करीब 2 दिन बाद फाइजर ने अपना आवेदन वापस लेने का ऐलान कर दिया था.

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