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पतंजलि के ‘कोरोना करिश्मे’ पर विवाद जारी, क्या कहते हैं जानकार?

कोरोना का इलाज: आयुर्वेदिक ‘कोरोनिल’ दवा का दावा कितना ‘साइंटिफिक’?

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दुनियाभर में कोरोना के कहर के बीच लोगों को एक चीज का बेसब्री से इंतजार है और वो है कोरोना की दवा या वैक्सीन. ऐसे में अगर कोई दावा करे कि कोरोना की आयुर्वेदिक दवा तैयार कर ली गई है तो तमाम निगाहें उस ओर उठना लाजिमी है.

23 जून को भारत में योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने दावा किया कि उन्होंने कोरोना की दवा तैयार कर ली है. नाम है ‘कोरोनिल’. लेकिन इस दावे के तुरंत बाद ही केंद्र सरकार ने कहा कि उन्हें ऐसी किसी दवा की जानकारी नहीं है. उसके बाद तो पतंजलि के ट्रायल के तरीके, सरकार को जानकारी और लाइसेंस को लेकर सवालों का सिलसिला ही शुरू हो गया.

सवाल ये है कि जिस नुस्खे की तलाश में दुनिया के बड़े-बड़े साइंटिस्ट और नामी दवा कंपनियां दिन-रात रिसर्च में जुटे हैं उसे पतंजलि ने क्या नियम-कायदों के तहत बनाया है. किसी भी दवा के कारगर होने को साइंटिफिक ट्रायल से आखिर साबित कैसे किया जाता है, और कोई भी दवा लैब से मरीज तक पहुंचने के लिए कौन सा सफर तय करती है, यही जानेंगे आज एक्सपर्ट्स से.

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