सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना (NV Ramana) की अध्यक्षता वाली एक बेंच ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि, सत्ता परिवर्तन के साथ राजद्रोह के मामले दर्ज करना एक "परेशान करने वाला ट्रेंड" है.
“यह देश में एक बहुत ही परेशान करने वाला ट्रेंड है और इसके लिए पुलिस विभाग भी जिम्मेदार है... जब कोई राजनीतिक दल सत्ता में होता है, तब पुलिस अधिकारी उस (सत्ताधारी) पार्टी का पक्ष लेते हैं”
सुप्रीम कोर्ट की ये बेंच छत्तीसगढ़ पुलिस अकादमी के सस्पेंड डायरेक्टर, गुरजिंदर पाल सिंह के खिलाफ दर्ज राजद्रोह के एक मामले की सुनवाई कर रही थी. ,गुरजिंदर पाल सिंह को गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान करते हुए बेंच ने माना कि “देश में स्थिति दुखद है".
अगले चार सप्ताह तक गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश
बेंच ने राजद्रोह के मामले दर्ज करने के ट्रेंड पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि “ये अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) के रूप में काम कर चुके हैं और पुलिस अकादमी निदेशक के रूप में कार्य कर रहे थे. अब उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 124ए (राजद्रोह) के तहत कार्रवाई शुरू कर दी गई है.
छत्तीसगढ़ में बीजेपी शासन के दौरान रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर के आईजी के रूप में काम करने वाले 1994 बैच के IPS अधिकारी गुरजिंदर पाल सिंह पर शुरू में राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा ने उनके घरों पर छापे के बाद आय से अधिक संपत्ति के मामले में मामला दर्ज किया गया था.
लेकिन बाद में बाद में उनके खिलाफ दुश्मनी को बढ़ावा देने और सरकार के खिलाफ साजिश रचने में उनकी कथित भूमिका के आधार पर राजद्रोह का एक और मामला दर्ज किया गया था.
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