वित्त मंत्री अरुण जेटली आने वाले बजट में चीनी पर दी जाने वाली सब्सिडी खत्म कर सकते हैं. राशन की दुकानों पर मिलने वाली 18.50 रुपये प्रतिकिलो की सब्सिडी बंद होने से 4,500 करोड़ रुपये की बचत होगी. जेटली आम बजट एक फरवरी 2017 को पेश करेंगे.
न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक, केंद्र सरकार का कहना है कि नए खाद्य सुरक्षा कानून में गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के परिवारों के लिये किसी तरह की कोई सीमा नहीं रखी गई है. ऐसे में आशंका है कि राज्य सरकारें सस्ती चीनी का कहीं और भी उपयोग कर सकतीं हैं.
वर्तमान में योजना के तहत 40 करोड़ बीपीएल परिवारों का लक्ष्य रखा गया है. सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत सालाना 27 लाख टन चीनी की जरुरत होती है.
यह है मौजूदा योजना
मौजूदा योजना के मुताबिक, राज्य सरकारें राशन की दुकानों से चीनी की सरकार नियंत्रित मूल्य पर आपूर्ति करने के लिये खुले बाजार से थोक भाव पर चीनी खरीदतीं हैं और फिर इसे 13.50 रुपये किलो के सस्ते भाव पर बेचतीं हैं. दूसरी तरफ राज्यों को इसके लिये केंद्र सरकार से 18.50 रपये प्रति किलो के भाव पर सब्सिडी दी जाती है.
वित्त मंत्रालय से ऐसे संकेत हैं कि चीनी की मौजूदा सब्सिडी योजना को अगले वित्त वर्ष से बंद किया जा सकता है.
चीनी सब्सिडी पर खाद्य मंत्री का जेटली को खत
इस बीच खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर कहा है कि चीनी सब्सिडी योजना को पूरी तरह से बंद नहीं किया जाना चाहिये. उन्होंने लिखा है कि कम से कम इसे अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) परिवारों के लिये जारी रखा जाना चाहिये. यह योजना सबसे गरीब लोगों के लिये चलाई जाती है.
खाद्य मंत्रालय ने हालांकि, पहले ही राज्यों को इस बारे में संकेत दे दिये हैं कि केंद्र सरकार अगले वित्त वर्ष से चीनी पर सब्सिडी वापस ले सकती है. राशन दुकानों के जरिये चीनी बेचने की पूरी लागत राज्यों को स्वयं उठानी पड़ सकती है.
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