पुडुचेरी में कांग्रेस की सरकार के गिरने के बाद बीजेपी ने राज्य में सरकार बनाने की बात से इनकार कर दिया है. पुडुचेरी विधानसभा में बीजेपी के 3 मनोनीत विधायक हैं. प्रदेश बीजेपी के नेता ने कहा है कि वे केंद्र शासित प्रदेश में सरकार बनाने का दावा नहीं करने जा रहे हैं.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने द क्विंट से कहा कि राष्ट्रीय नेतृत्व इस बात की घोषणा कर देगा. बहरहाल कांग्रेस के नेता एन रंगास्वामी के करीबी सूत्रों ने द क्विंट को बताया है कि ‘’अगर उपराज्यपाल उन्हें आमंत्रित करते हैं तो वे सरकार बनाने का इरादा रखते हैं.’’ एन आर कांग्रेस को उम्मीद है कि उपराज्यपाल तमिलसाई सुंदराजन इस बारे में कोई घोषणा करेंगे.
पुडुचेरी में विपक्ष में एन आर कांग्रेस, एआईडीएमके और बीजेपी समेत कुल 14 विधायक हैं.
22 फरवरी को डीएमके के साथ गठबंधन में सरकार चला रही कांग्रेस सदन में बहुमत सिद्ध करने में असफल रही. पिछले हफ्ते कांग्रेस के 5 और डीएमके के 1 विधायक ने इस्तीफा दे दिया था.
‘हॉर्स ट्रेडिंग’ के आरोपों से बीजेपी का इनकार
‘’पुडुचेरी में विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोपों को बीजेपी ने गलत बताया है. बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस की सरकार पिछले 5 सालों में जनता के लिए कुछ नहीं कर पाई. कांग्रेस विधायकों ने इसलिए इस्तीफे दिये क्योंकि वे जनता का सामना नहीं कर सकते हैं.’’
वहीं, राजनीतिक जानकारों ने द क्विंट को बताया कि चुनाव में सिर्फ 2 महीने का समय बाकी है, बीजेपी ए नमासीवायम को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर असमंजस में है, नमासीवायम उन कांग्रेस विधायकों में से एक हैं जिन्होंने हाल ही में इस्तीफा दिया है. अगर नमासीवायम पर सहमति नहीं बनी तो, रंगास्वामी चीफ मिनिस्टर होंगे.
बहुमत सिद्ध करने में कांग्रेस क्यों हुई फेल?
कांग्रेस और डीएमके की गठबंधन सरकार विधानसभा में बहुमत सिद्ध करने में नाकाम हो गई. क्योंकि बीजेपी के तीनों मनोनीत विधायक विपक्ष के साथ खड़े थे.
पुडुचेरी विधानसभा में कुल 33 विधायक हैं, इनमें 3 गैर निर्वाचित विधायक शामिल हैं. पूर्व उपराज्यपाल किरण बेदी ने 2016 में बीजेपी के 3 नेताओं को विधानसभा सदस्य के तौर पर मनोनीत किया था. इन तीनों मनोनीत विधायकों की बदौलत विपक्ष में एन आर कांग्रेस और AIDMK के कुल 14 विधायक थे. जबकि कांग्रेस के पास सिर्फ 11 विधायकों का समर्थन था.
मुख्यमंत्री वी नारायणस्वामी ने मीडिया को बताया कि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान होने वाली वोटिंग में मनोनित विधायक शामिल नहीं होने चाहिए. हालांकि इसे लेकर स्पष्ट रूप से कोई कानूनी प्रावधान नहीं है. 2018 की एक रूलिंग में सुप्रीम कोर्ट ने मनोनीत विधायकों को वोटिंग करने का अधिकार दिया था.
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