पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों का मातम इस वक्त पूरा देश मना रहा है. इनमें राजौरी जिले के रहने वाले नसीर अहमद भी हैं. वे CRPF की 76 वीं वाहनी में तैनात थे. नसीर को उनके बड़े भाई सिराज अहमद ने पाल-पोस कर बड़ा किया था. सिराज जम्मू-कश्मीर पुलिस में हैं.
डोडासन गांव के रहने वाले नसीर ने 13 फरवरी को ही अपना 47 वां जन्मदिन मनाया था. अगले दिन उन्हें काफिले का कमांडेंट बनाकर भेजा गया था. नसीर ने 2014 में आई बाढ़ के दौरान दर्जनों लोगों की मदद की थी. उस मुश्किल वक्त में किए उनके कामों को लोग खूब याद कर रहे हैं.
नसीर के बड़े भाई सिराज अहमद ने बताया कि जिस वक्त उन्हें खबर मिली, वो जम्मू में थे. शहीद नसीर अहमद के पिता और मां की कम उम्र में ही मौत हो गई थी. इसके बाद सिराज ने ही नसीर को बेटे की तरह पाल कर बड़ा किया था. पिता ने आखिरी वक्त में उनसे वायदा लिया था कि वे नसीर को अच्छे से रखेंगे. सिराज ने बीबीसी से बातचीत में बताया,
मैं नहीं चाहता था कि नसीर वर्दी वाली नौकरी करे. लेकिन शुरू से ही उसके अंदर देशभक्ति की भावना थी. उन्होंने मेरी बात अनसुनी करते हुए फौज की नौकरी ले ली. इतनी कम उम्र में भाई के चले जाने से हम-सब पर बहुत जुल्म हुआ है. मैं अब अकेला हो गया हूं.बीबीसी से बातचीत में शहीद नसीर अहमद के बड़े भाई सिराज अहमद
नसीर के परिवार में उनकी पत्नी शाजिया कौसर और उनके दो बच्चे हैं. वे अपने परिवार के साथ जम्मू में ही रहते थे.
सिराज अहमद ने सरकार से मांग की है कि सरकार, नसीर के छोटे-छोटे बच्चों की मदद करे. इस पूरे मुद्दे का कोई हल निकाले. आए दिन नौजवान शहीद हो रहे हैं.
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