एक तरफ जहां हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई धर्मों के नाम पर कुछ सांप्रदायिक लोग समाज को बांटते हैं, वहीं पंजाब के गांव ने कौमी एकता की मिसाल पेश की है. पंजाब के मोगा जिले के भूलर गांव में 7 गुरुद्वारे और 2 मंदिर हैं, इस गांव में सिर्फ 4 मुस्लिम परिवार ही रहते हैं, लेकिन अब गांव के सभी मजहबों के लोग मिलकर इन मुस्लिम परिवारों के लिए मस्जिद बनाने की तैयारी कर रहे हैं.
सिख और हिंदू समुदाय ने मिलकर की मुस्लिमों के कार्यक्रम के लिए तैयारियां
भूलर गांव में 13 जून की सुबह हुई भारी बारिश ने मस्जिद के शिलान्यास समारोह में बाधा डाली, लेकिन यह ग्रामीणों के बीच समुदाय की भावना को कम नहीं कर सका क्योंकि उन्होंने गुरुद्वारे के द्वार खोल दिए और वहां कार्यक्रम आयोजित किया.
बस कुछ ही घंटों में सिख और हिंदू समुदाय के ग्रामीणों ने कार्यक्रम की सारी तैयारियां कर ली थीं. वहां लंगर आयोजित किया गया, गरमा-गरम जलेबियां थीं और मस्जिद के शिलान्यास के सफल समापन के लिए अरदास भी की गई थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक गांव के 45 साल के सरपंच पाला सिंह ने बताया कि उनके गांव में सात गुरुद्वारे और दो मंदिर हैं, लेकिन एक भी मस्जिद नहीं है.
“1947 में विभाजन से पहले एक मस्जिद थी, लेकिन इसकी संरचना समय के साथ खंडहर में बदल गई. हमारे गांव में चार मुस्लिम परिवार हैं. जिन्होंने यहीं रहना पसंद किया और तब से हमारे गांव में हिंदू, मुस्लिम और सिख परिवार सद्भाव से रहते हैं. हालांकि, हम सभी चाहते थे कि मुस्लिम परिवारों के लिए इबादत जगह हो, इसलिए यह तय किया गया कि मस्जिद उस जमीन पर फिर से बनाई जाए जहां वो पहले मौजूद थी.”
गांव में गजब का आपसी तालमेल
पाला सिंह ने आगे कहा, "रविवार को जब मस्जिद का शिलान्यास करने की पूरी तैयारी की गई तो तेज बारिश शुरू हो गई और जमीन दलदली हो गई. लोग दुखी और निराश थे, जब बताया गया कि भारी बारिश के कारण कार्यक्रम को स्थगित करना पड़ सकता है, लेकिन सभी ग्रामीणों ने फैसला किया कि कार्यक्रम स्थल को पास के श्री सत्संग साहिब गुरुद्वारे में पूरा किया जाएगा. गुरु का घर हमेशा सभी समुदायों के लिए खुला रहता है. फिर सभी ने इकट्ठा होकर कुछ ही घंटों के भीतर सब कुछ व्यवस्थित कर दिया. कार्यक्रम आयोजित किया गया और सभी ग्रामीणों ने भाग लिया, चाहे वो किसी भी धर्म के हों. पिछले 70 सालों में गांव वालों ने कभी भी किसी भी समुदाय के लोगों को अकेला महसूस नहीं होने दिया".
गांव वालों ने मस्जिद के लिए दिया 100-1 लाख रुपये तक का चंदा
सरपंच ने बताया कि गांव के सभी लोग बेहद खुश हैं, क्योंकि अब ये मस्जिद हमारे लिए दसवां पूजा स्थल होगा. मस्जिद निर्माण के लिए ग्रामीणों ने चंदा भी दिया है. 100 रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक, हर समुदाय के लोगों ने जितना दे सकते थे, दिया. वक्फ बोर्ड के सदस्य भी योगदान दे रहे हैं.
समारोह में शामिल नायब शाही इमाम मौलाना मोहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी ने आयोजन स्थल के लिए ग्रामीणों का धन्यवाद किया. और गांव के पूर्व सरपंच बोहर सिंह ने गुरुद्वारे में अपने भाषण के दौरान कहा कि उनका पूरा गांव मस्जिद के निर्माण में पूरा सहयोग करेगा.
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