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राफेल मामला: केंद्र ने SC से की सुनवाई स्थगित करने की अपील

केंद्र ने जवाब दाखिल करने के लिए मांगा और वक्त

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भारत
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केंद्र ने राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट के 14 दिसंबर, 2018 के फैसले पर दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर मंगलवार को होने वाली सुनवाई स्थगित करने का सोमवार को अनुरोध किया. केंद्र ने कहा कि पुनर्विचार याचिकाओं पर अपना विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिये और समय की आवश्यकता है.

केंद्र ने यह अनुरोध चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ के सामने किया. हालांकि, पीठ ने पुनर्विचार याचिकाओं पर मंगलवार को होने वाली सुनवाई स्थगित करने के बारे में कुछ नहीं कहा.

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केंद्र ने जवाब दाखिल करने के लिए मांगा और वक्त

पीठ ने केन्द्र सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आर बालासुब्रमणियन को सुनवाई स्थगित करने के बारे में संबंधित पक्षकारों में पत्र वितरित करने की अनुमति दे दी. केंद्र के पत्र में कहा गया है कि उसे पुनर्विचार याचिकाओं के मेरिट पर अपना जवाब दाखिल करने के लिये कुछ वक्त की आवश्यकता है.

केन्द्र ने इस पत्र में कहा है कि सरकार ने पुनर्विचार याचिकाओं में चुनिन्दा दस्तावेजों को आधार बनाये जाने की विचारणीयता पर प्रारंभिक आपत्तियां की थीं और कोर्ट ने 10 अप्रैल को इस मुद्दे पर अपना फैसला सुनाया था.

पत्र में कहा गया है कि चूंकि सरकार ने पुनर्विचार याचिकाओं के गुण दोष के बारे में अपना जवाब दाखिल नहीं किया है, इसलिए उसे इन पुनर्विचार याचिकाओं पर विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिये कुछ समय चाहिए.

मंगलवार को होगी सिन्हा, शौरी और भूषण की याचिकाओं पर सुनवाई

पूर्व केन्द्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरूण शौरी और अधिवक्ता प्रशांत भूषण की पुनर्विचार याचिकाएं मंगलवार को दोपहर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने सूचीबद्ध हैं.

इसके अलावा आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह और अधिवक्ता विनीत ढांडा की दो अन्य पुनर्विचार याचिकायें भी मंगलवार के लिये सूचीबद्ध हैं.

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राफेल डील मामले में SC के फैसले पर दायर की गई हैं पुनर्विचार याचिकाएं

राफेल सौदे के बारे में शीर्ष अदालत के 14 दिसंबर, 2018 के फैसले पर ये पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गई हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के सौदे को चुनौती देने वाली सारी याचिकायें खारिज कर दी थीं.

सुप्रीम कोर्ट ने 10 अप्रैल को इस सौदे से संबंधित लीक हुये कुछ दस्तावेजों पर आधारित अर्जियां स्वीकार कर लीं और पुनर्विचार याचिकाओं पर केन्द्र की प्रारंभिक आपत्तियों को अस्वीकार कर दिया जिससे केन्द्र को झटका लगा.

केन्द्र ने इन दस्तावेजों पर विशेषाधिकार का दावा किया था. केन्द्र का तर्क था कि ये तीन दस्तावेज अनधिकृत तरीके से रक्षा मंत्रालय से निकाले गये हैं और याचिकाकर्ताओं ने 14 दिसंबर, 2018 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपनी पुनर्विचार याचिकाओं के समर्थन में इनका इस्तेमाल किया है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये दस्तावेज ‘‘सार्वजनिक'' हैं और एक प्रमुख समाचार पत्र द्वारा इनका प्रकाशन संविधान में प्रदत्त बोलने की आजादी के सांविधानिक अधिकार के अनुरूप है. शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि संसद द्वारा बनाया गया ऐसा कोई भी कानून उसके संज्ञान में नहीं लाया गया है जिसमें संविधान के अनुच्छेद 19(2) में उल्लिखित किसी भी आधार पर ऐसे किसी दस्तावेज का प्रकाशन विशेष रूप से प्रतिबंधित किया गया हो.

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