राफेल डील केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुर्नविचार के लिए दायर की गई याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई हुई. बुधवार को केंद्र की मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा देते हुए कहा था कि राफेल डील पर उसके फैसले पर पुनर्विचार के लिये याचिकाकर्ताओं द्वारा दाखिल दस्तावेज ‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये संवेदनशील’’ हैं और जिन लोगों ने इन दस्तावेजों की फोटोकॉपी बनाने की साजिश की, उन्होंने इसकी चोरी की और इन्हें लीक करके सुरक्षा को खतरे में डाला है.
राफेल की सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जो सीएजी की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई थी उसमें कुछ गलती थी. उन्होंने बताया कि इस रिपोर्ट में तीन पन्ने गायब थे. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
अरुण शौरी बोले, दस्तावेजों को सही बताने के लिए धन्यवाद
सुप्रीम कोर्ट में राफेल मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अरुण शौरी ने कहा, मैं अटॉर्नी जनरल का धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने अपने हलफनामे में कहा है कि असली दस्तावेजों की फोटोकॉपी हुई है. ऐसा कहकर उन्होंने यह साबित कर दिया है कि दस्तावेज असली हैं.
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सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
सुप्रीम कोर्ट में राफेल मामले को लेकर आज सुनवाई हुई. राफेल के दस्तावेज लीक होने पर केंद्र के विशेषाधिकार के दावे पर अब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.
रक्षा मंत्रालय ने हलफनामे में क्या कहा?
रक्षा सचिव संजय मित्रा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए इस हलफनामे में कहा गया है-
- याचिकाकर्ताओं पूर्व केन्द्रीय मंत्रियों यशवन्त सिन्हा और अरूण शौरी और सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण की ओर से पेश किये गये दस्तावेज लड़ाकू विमानों की युद्धक क्षमता से संबंधित हैं
- इन्हें बड़े स्तर पर लोगों को बांटा गया और अब ये देश के दुश्मन और विरोधियों के पास भी उपलब्ध हैं. इससे राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ गई है.
- केन्द्र सरकार की सहमति, अनुमति या सम्मति के बगैर इन संवेदनशील दस्तावेजों की फोटो कॉपी करने और इन्हें पुनर्विचार याचिकाओं के साथ संलग्न करने की साजिश रचने वालों ने देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया है
- दस्तावेजों की अनधिकृत तरीके से फोटो कॉपी बनाकर चोरी करने वालों ने देश की सार्वभौमिकता, सुरक्षा और दूसरे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण रिश्तों को प्रतिकूल तरीके से प्रभावित किया है
पिछली सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने किया था खुलासा
रक्षा मंत्रालय की ओर से पेश किया गया यह हलफनामा इसलिए भी महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने बीती छह मार्च को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने ये आरोप लगाया था कि पुनर्विचार याचिका उन दस्तावेजों पर आधारित है जो रक्षा मंत्रालय से चुराये गये हैं.