कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की ससंद सदस्यता शुक्रवार 24 मार्च को रद्द कर दी गई. इससे एक दिन पहले केरल की वायनाड सीट से सांसद को गुजरात के सूरत की सेशन कोर्ट ने चार साल पुराने मानहानि केस में दोषी पाया था और 2 साल की सजा सुनाई थी. हालांकि, कोर्ट ने निजी मुचलके पर राहुल को एक महीने के लिए जमानत देते हुए अपील करने का मौका दिया.
राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द किए जाने की खबर दुनिया भर के अंतरराष्ट्रीय मीडिया में चर्चा का विषय बनी रही.
ब्रिटेन की न्यूज एजेंसी "रॉयटर्स" ने लिखा, "राहुल गांधी की संसद से उनकी बर्खास्तगी, उनकी पार्टी और उसके सहयोगियों को अगले आम चुनाव से एक साल पहले एकजुट होकर बीजेपी सरकार का विरोध करने के लिए प्रेरित कर सकती है."
अमेरिका के "द न्यूयॉर्क टाइम्स" ने लिखा, " राहुल गांधी 4 साल पहले भारत की बहुसांप्रदायिकता का झंडा लहराते हुए पीएम के खिलाफ चुनाव लड़ने गए थे और नरेंद्र मोदी को एक खतरनाक हिंदू राष्ट्रवादी के रूप में पेश किया, जो सत्ता में रहने पर देश के लोकतंत्र को खत्म कर देगा."
"द न्यूयॉर्क टाइम्स" ने आगे लिखा, "24 मार्च को, मोदी के सहयोगियों ने राहुल गांधी के खिलाफ काम को पूरा कर दिया और सजा के खिलाफ अपील करने से पहले ही उनकी संसद सदस्यता को खत्म कर दिया गया.
"द गार्डियन" ने लिखा, "मानहानि की सजा के बाद भारतीय विपक्षी नेता को संसद से निष्कासित कर दिया गया." वहीं अमेरिका के मशहूर मीडिया नेटवर्क सीएनएन ने भी खबर को कवर किया है.
एशियाई अखबारों ने भी की कवरेज
पाकिस्तान के "डॉन" अखबार ने लिखा, "भारत में विपक्ष को तगड़ा झटका लगा है. संसद ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बैन कर दिया."
"अल जजीरा" ने लिखा कि राहुल गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी के चुनावी रथ को चुनौती देने के लिए संघर्ष किया है और देश के हिंदू बहुसंख्यकों को इसकी राष्ट्रवादी अपील की है. लेकिन संसद ने अब मुख्य विपक्षी नेता की सदस्यता ही खत्म कर दी है."
ईरान की "मेहर" न्यूज़ एजेंसी और बांग्लादेश के राइसिंग बीडी.कॉम ने राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म होने की खबर को प्रमुखता से छापा है.
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