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RBI ने कहा था,नोटबंदी का ब्लैक मनी पर नहीं होगा खास असर: RTI

आरबीआई ने कहा था कि ब्लैक मनी पर शिकंजा कसने में नोटबंदी का खास असर नहीं होगा.

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भारत
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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के निदेशक मंडल ने नोटबंदी से पहले इसके शॉर्ट टर्म नकारात्मक असर के बारे में आगाह किया था. आरबीआई का यह भी कहना था कि ब्लैक मनी पर शिकंजा कसने में नोटबंदी कोई खास कामयाब साबित नहीं होगी. इसके पीछे उसकी दलील दी थी कि ज्यादातर ब्लैक मनी कैश में नहीं है. इस बात का खुलासा आरटीआई के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में हुआ है.

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8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के ऐलान से ढाई घंटे पहले आरबीआई निदेशक मंडल की बैठक हुई थी. इस बैठक में आरबीआई के तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल और तत्कालीन आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास मौजूद थे. इसमें शामिल दूसरे सदस्य तत्कालीन वित्त सचिव अंजलि छिब दुग्गल, आरबीआई के डिप्टी गवर्नर आर गांधी और एस एस मूंदड़ा थे.
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गांधी और मूंदड़ा दोनों अब निदेशक मंडल में शामिल नहीं हैं. वहीं दास को दिसंबर 2018 में आरबीआई का गवर्नर बनाया गया था. आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक की तरफ से कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव पर पोस्ट किए गए बैठक के ब्योरे के मुताबिक, निदेशक मंडल की 561वीं बैठक में कहा गया था- ''ज्यादातर ब्लैकमनी नकद रूप में नहीं है, यह गोल्ड और अचल संपत्ति के रूप में है और इस कदम (नोटबंदी) का वैसी संपत्ति पर ठोस असर नहीं होगा.''

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी के दौरान 500 और 1,000 रुपये के नोटों को चलन से हटाने का ऐलान किया था. उस समय बताया गया था कि इस कदम का मकसद ब्लैकमनी पर शिकंजा कसना, नकली मुद्रा पर रोक लगाना और आतंकी संगठनों की फंडिंग पर लगाम लगाना है.  
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8 नवंबर 2016 को 500 और 1,000 रुपये के 15.41 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोट चलन में थे. चलन से हटाए गए नोटों को जमा करने के लिए देश के नागरिकों को दिए गए 50 दिन के समय में 15.31 लाख करोड़ रुपये वापस आ गए थे. प्रवासी भारतीयों के लिए यह समयसीमा जून 2017 थी.

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