पूरे भारत में इस वक्त अग्निपथ योजना (Agnipath Scheme) पर बवाल मचा हुआ है. कई जगह हिंसक प्रदर्शनों में ट्रेनों और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया. कई लोग अब भारतीय सेना में जारी रेजिमेंट सिस्टम (Regiment system) को लेकर संशय में हैं. सवाल उठ रहे हैं कि रिक्रूटमेंट की नई व्यवस्था आने के बाद रेजिमेंट सिस्टम पर क्या असर पड़ेगा? यहां समझते हैं कि आखिर रेजिमेंट सिस्टम के तहत कैसे होती रही है भर्ती और क्या आगे इस पर कोई असर पड़ सकता है?
क्या है रेजिमेंट सिस्टम?
भारतीय सेना में जब किसी का दाखिला (अधिकारी रैंक को छोड़कर) होता है, तो उसे एक रेजिमेंट का हिस्सा बनाया जाता है. यह रेजिमेंट कुछ खास जाति से आने वालों या किसी खास इलाके से आने वालों के लिए विशेष हो सकती है. जैसे- जाट रेजिमेंट, राजपूत रेजिमेंट या लद्दाख स्काउट्स आदि.
मतलब सेना में तैनाती की बुनियादी ईकाई है रेजिमेंट. भले ही संबंधित सैनिक की बाद में कहीं भी तैनाती हो, लेकिन वो ताउम्र अपने रेजिमेंट के नाम से जुड़ा रहेगा.

पहले विश्व युद्ध के दौरान फ्रांस में सिख रेजिमेंट
फोटो: विकीमीडिया कॉमन्स
क्या रेजिमेंट में अफसरों की तैनाती भी क्षेत्र, समुदाय के आधार पर की जाती है?
नहीं, कमीशन्ड अफसर किसी भी रेजिमेंट में भेजे जा सकते हैं. इनके मामले में यह बाध्यता नहीं है. मतलब राजस्थान में राजपूत जाति से आने वाला एक सैन्य अधिकारी गोरखा रेजिमेंट में भी हो सकता है.
रेजिमेंट सिस्टम की शुरुआत कैसे हुई?
जब अंग्रेजों ने भारत के अलग-अलग हिस्सों पर कब्जा करना शुरू किया, तो संबंधित क्षेत्र की सेना को उन्होंने अपनी सेना में मिलाना शुरू किया या फिर अपने लिए संबंधित इलाके के लोगों को भर्ती शुरू करना किया.
इस तरह अंग्रेजों ने सैन्य इतिहास, जाति, नस्ल और भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर गोरखा रेजिमेंट, जाट रेजीमेंट, मद्रास रेजिमेंट आदि का गठन करना शुरू किया. इन सभी रेजिमेंट की अलग-अलग पहचान थी, जिसके तहत उनका पहनावा, परंपराएं, कार्यक्रम भी भिन्न थे. हर रेजिमेंट से उनके सैनिकों का गर्व भी जोड़ा गया.

बड़ी संख्या में नेपाली व भारतीय गोरखा इंडियन आर्मी में भर्ती होते हैं
(फोटो: ADGPI/फेसबुक)
शुरुआती रेजिमेंट कौन सी थीं, क्या अब भी जाति-समुदाय के आधार पर रेजिमेंट का गठन होता है?
आजादी के पहले अंग्रेजों ने 1758 में मद्रास रेजिमेंट, 1761 में पंजाब रेजिमेंट, 1768 में मराठा लाइट इंफ्रेंट्री, 1775 में राजपूताना राइफल्स, 1778 में राजपूत रेजिमेंट, 1778 में ग्रेनेडियर्स, 1813 में कुमाऊं रेजिमेंट, 1815 में 1 गोरखा राइफल्स, 1815 में ही 3 गोरखा राइफल्स, 1817 में 9 गोरखा राइफल्स जैसी अहम रेजिमेंट की स्थापना की. इसके अलावा भी अंग्रेजों ने अलग-अलग दौर में सिख रेजिमेंट, डोगरा रेजिमेंट, गढ़वाल रेजिमेंट, महार रेजिमेंट, बिहार रेजिमेंट, असम रेजिमेंट, सिख लाइट रेजिमेंट, पैराशूट रेजिमेंट व जम्मू-कश्मीर लाइट इंफ्रेंट्री समेत कई दूसरी रेजिमेंट की स्थापना भी की.
भारत ने आजादी के बाद बढ़ती सेना को व्यवस्थित करने के लिए कई रेजिमेंट की स्थापना की. जैसे- ब्रिगेड ऑफ द गार्ड्स (1948), लद्दाख स्काउट्स (1963) आदि.
लेकिन भारत ने जाति व समुदाय के आधार पर आजादी के बाद से किसी रेजिमेंट का गठन नहीं किया है. हालांकि क्षेत्र के आधार पर रेजिमेंट का गठन होता रहा है, जैसे- सिक्किम स्कॉउट्स रेजिमेंट (2013), अरुणाचल रेजिमेंट (2010).
ध्यान रहे बीते दिनों अहीर रेजिमेंट की मांग बहुत प्रबल रही थी. इसमें यादव जाति के लोगों को शामिल करने की मांग की जा रही थी.

अंग्रेजों के दौर मे 14वीं मद्रास लाइट इंफ्रेंट्री (अब 3 मद्रास)
फोटो:Madrasregiment.org)
रेजिमेंट और बटालियन में क्या अंतर है?
रेजिमेंट एक ऐसी यूनिट होती है, जो सैनिकों को तैयार कर रखती है. फिर इनमें कई सारी बटालियन बनाई जाती हैं. हर रेजिमेंट में बटालियनों की संख्या अलग-अलग होती है. मोटे तौर पर एक बटालियन 900 सैनिकों का एक समूह होता है.रेजिमेंट का काम कुलमिलाकर ब्रिगेड (3-4 या ज्यादा बटालियन को मिलाकर बनने वाली यूनिट) को बटालियन सप्लाई करना है.
रेजिमेंट में बटालियन के उदाहरण- ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स रेजिमेंट में शामिल अलग-अलग बटालियन के नाम कुछ इस तरह हैं- 16 गार्ड्स या 6 गार्ड्स. इसी तरह राजपूताना राइफल्स की किसी बटालियन को 6 राजपूताना या 10 राजपूताना के नाम से जाना जा सकता है. मतलब, अगर कोई सैनिक कहता है कि वो 6 राजपूताना से है, तो इसका मतलब हुआ कि उसकी रेजिमेंट राजपूताना राइफल्स और बटालियन संख्या 6 है.
सेक्शन, प्लाटून, कंपनी, बटालियन, रेजिमेंट, ब्रिगेड, डिविजन, कॉर्प...ये सब क्या हैं?
सेना में सबसे निचला हिस्सा "सेक्शन" कहलाता है, जिसमें 10 सैनिक होते हैं.
इसके ऊपर एक प्लाटून होता है, जिसका प्रमुख जूनियर कमीशन्ड ऑफिसर (जेसीओ) होता है. इसमें तीन सेक्शन होते हैं.
फिर 3 प्लाटून से मिलकर एक राइफल कंपनी बनती है. इसका प्रुमख लेफ्टिनेंट कर्नल या मेजर होता है.
ऐसी चार राइफल कंपनियों से मिलकर एक बटालियन बनती है. जिसका प्रमुख कर्नल होता है.इसमें करीब 900 सैनिक होते हैं.
जैसा पहले बताया सैनिकों को रेजिमेंट में व्यवस्थित किया जाता है, जिनके तहत कई बटालियन होती हैं. अब आगे जो ढांचा आता है, उसके तहत ब्रिगेड में कई अलग-अलग रेजिमेंट की बटालियन शामिल हो सकती हैं.
अब इनमें से ही 3 बटालियन व कुछ सहयोगी कंपनियों को मिलाकर एक ब्रिगेड बनती है, जिसमें 3 हजार से ज्यादा सैनिक होते हैं और इसका प्रमुख एक ब्रिगेडियर होता है.
तीन-चार या ज्यादा ब्रिगेड को मिलाकर एक डिवीजन बनाया जाता है, जिसका प्रमुख मेजर जनरल होता है.
इसी तरह के तीन-चार या ज्यादा डिवीजन को मिलाकर एक कॉर्प बनाया जाता है, जो आर्मी की सबसे बड़ी यूनिट होती है.

राजपूताना राइफल्स के बैंड के साथ राष्ट्रपति कोविंद
फोटो: विकीपीडिया
अलग-अलग रेजिमेंट्स के मुख्यालय कहां-कहां हैं?
राजपूताना राइफल्स- दिल्ली कैंटोनमेंट
राजपूत रेजिमेंट- फतेहगढ़ (उत्तरप्रदेश)
डोगरा रेजिमेंट- फैजाबाद (उत्तर प्रदेश)
सिख रेजिमेंट (रामगढ़, झारखंड)
जाट रेजिमेंट- बरेली (उत्तर प्रदेश)
इसी तरह अलग-अलग रेजिमेंट्स के मुख्यालय व प्रशिक्षण व्यवस्था देश की अलग-अलग छावनियों में हैं.
क्या अग्निपथ योजना से रेजिमेंट सिस्टम पर कुछ प्रभाव पड़ेगा.
भारत ने आजादी के बाद अंग्रेजों द्वारा बनाया गया रेजिमेंट सिस्टम जारी रखा था, जो अब तक जारी है. भारत सरकार और रक्षा मंत्रालय ने साफ किया है कि अग्निपथ योजना से रेजिमेंट सिस्टम पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)