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निर्भया केस ने लीगल सिस्टम की खामियों को दिखाया: महिला आयोग प्रमुख

निर्भया केस के चारों दोषियों को तिहाड़ जेल में दी गई फांसी

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राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की प्रमुख रेखा शर्मा ने 20 मार्च को कहा कि निर्भया की आत्मा को आखिरकार अब शांति मिलेगी, क्योंकि उसे अब न्याय मिल गया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस मामले से लीगल सिस्टम की खामियों का भी पता चला है. निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के चारों दोषियों को 20 मार्च की सुबह तिहाड़ जेल में दी गई फांसी के बाद शर्मा ने एक के बाद एक कई ट्वीट के जरिए अपनी बातें रखीं.

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उन्होंने कहा, "उम्मीद है कि निर्भया की आत्मा को आखिरकार शांति मिलेगी, क्योंकि उसे न्याय मिला है. उसके माता-पिता ने लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार अपनी बेटी के लिए निर्विवाद रूप से न्याय की यह लड़ाई जीती."

शर्मा ने कहा, “इस मामले ने हमें कानूनी प्रणाली की खामियों को भी दिखाया, जिसका चार दोषियों ने फायदा उठाया. आज जैसा कि हम जानते हैं कि आखिरकार दोषियों को फांसी मिल गई है तो मुझे उम्मीद है कि यह दूसरों के लिए एक सबक होगा और भविष्य में ऐसे किसी मामले में न्याय मिलने में देरी नहीं होगी.”

उन्होंने कहा कि इन सालों में निर्भया की मां ने अपनी बेटी को न्याय दिलाने की लड़ाई में कभी उम्मीद नहीं खोई.

शर्मा ने कहा, "आखिरकार निर्भया को न्याय मिला. यह उसके माता-पिता और हम सभी के लिए लंबे समय तक एक दर्दनाक इंतजार रहा. न्याय प्रणाली पर हमारे मन में जो संदेह था, वह दूर हो गया."

बता दें कि निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के चारों दोषियों को 20 मार्च को सुबह 5:30 बजे फांसी दे दी गई. दिल्ली की तिहाड़ जेल में मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को फांसी दी गई है.

23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा (निर्भया) से 16 दिसंबर, 2012 को दक्षिणी दिल्ली में एक चलती बस में गैंगरेप किया गया था और उस पर बर्बरता से हमला किया गया था. निर्भया की बाद में सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में मौत हो गई थी, जहां उसे बेहतर चिकित्सा के लिए ले जाया गया था.

निर्भया मामले में चारों दोषियों और एक नाबालिग सहित छह व्यक्ति आरोपी के तौर पर नामजद थे. छठे आरोपी राम सिंह ने मामले की सुनवाई शुरू होने के कुछ दिनों बाद तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी. एक सुधार गृह में तीन साल गुजारने के बाद 2015 में नाबालिग को रिहा कर दिया गया था.

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