राजस्व सचिव हसमुख अढिया ने कहा है कि जीएसटी लागू किए जाने के बाद अब छोटे कारोबारों के बोझ को कम करने के लिए टैक्स के रेट में पूरी तरह बदलाव करने की जरूरत है. एक इंटरव्यू में राजस्व सचिव ने कहा कि GST सिस्टम को स्थिर होने में करीब एक साल लगेगा.
GST में एक दर्ज से अधिक सेंट्रल और स्टेट लेवी जैसे प्रोडक्ट टैक्स, सर्विस टैक्स और वैट मिला दिए गए हैं. GST लागू हुए करीब चार महीने हो गए हैं. इस नए टैक्स सिस्टम से कुछ शुरुआती परेशानियां और लागू किए जाने से जुड़े मुद्दे उभरे हैं. GST काउंसिल ने कई मुद्दों का समाधान निकाला भी है. काउंसिल इस सिस्टम में फैसले लेने के लिए सबसे ऊंची संस्था है.
बदलाव की जरूरत: अढिया
अढिया ने कहा, इसमें आमूलचूल बदलाव की जरूरत है, हो सकता है कि एक ही चैप्टर में कुछ चीजें बांट दी गयी हों. चीजों की चैप्टर दर चैप्टर लिस्ट बनाने की जरूरत है, और जहां दिखे कि यह लघु और मझौले उद्योगों तथा आम आदमी पर बोझ ज्यादा पड रहा है, वहां हम उसे कम करते हैं तो इसे लागू करने में सुधार होगा.
हालांकि, उन्होंने कहा कि बदलाव के लिए फिटमेंट कमेटी को गणना करने की जरूरत होगी, जो ये तय करेगा कि किस प्रोडक्ट को तर्क संगत बनाने की जरूरत है. आढिया ने कहा कि समिति अपने सुझावों को जीएसटी परिषद के सामने जल्द से जल्द रखेगी.
10 नवंबर को होगी 23वीं बैठक
बता दें कि GST काउंसिल की 23वीं बैठक वित्त मंत्री अरूण जेटली के नेतृत्व में गुवाहाटी में 10 नवंबर को होनी है. उन्होंने कहा कि हम जितनी जल्दी हो सके इसे करने के लिए उत्सुक हैं, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि फिटमेंट कमेटी इस पर काम करने के लिए कितना समय लेती है.
अढिया से जब पूछा गया कि जीएसटी को स्थिर होने में कितना समय लगेगा तो उन्होंने कहा कि इसमें एक साल लगेगा, क्योंकि यह सभी के लिए नई व्यवस्था है. GST में कर प्रणाली के पूरी बदलाव होना है इसलिए एक साल की आवश्यकता है.
100 से ज्यादा चीजों पर टैक्स रेट में हो चुके हैं बदलाव
इससे पहले जून 2017 से लेकर अब तक 100 से ज्यादा चीजों पर GST रेट में बदलाव हो चुके हैं. GST काउंसिल की 22वीं बैठक में 27 चीजों की टैक्स रेट घटा दी गई. इनमें से ज्यादातर को 5 फीसदी के टैक्स स्लैब में लाया गया.
जिन 100 से ज्यादा चीजों पर टैक्स रेट में बदलाव हुए हैं, वो सभी बड़े पैमाने पर देशभर में इस्तेमाल किए जाते हैं. 22वीं मीटिंग में स्टेशनरी के सामान, डीजल इंजन के पुर्जे, संगमरमर और ग्रेनाइट को छोड़कर फर्श के बाकी पत्थर पर टैक्स को घटाकर 18 फीसदी कर दिया गया.
(SOURCE: एजेंसी)
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