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नए CJI बोबडे ने ली शपथ, सुना चुके हैं ये बड़े फैसले

एसए बोबडे 18 नवंबर को नए सीजेआई के तौर पर शपथ लेंगे. 

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भारत
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जस्टिस एसए बोबडे ने 18 नवंबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के तौर पर शपथ ले ली है. 47वें CJI बोबडे 23 अप्रैल, 2021 तक इस पद पर रहेंगे.

  • प्रोड्यूसर: सृष्टि त्यागी
  • वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
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जस्टिस बोबडे का जन्म 24 अप्रैल 1956 को महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था. उनका पूरा नाम शरद अरविंद बोबडे है. उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से बीए और एलएलबी की डिग्रियां हासिल कीं.

साल 1978 में जस्टिस बोबडे ने महाराष्ट्र बार काउन्सिल में रजिस्ट्रेशन कराने के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में वकालत शुरू की थी. इसके बाद उन्हें 1998 में वरिष्ठ अधिवक्ता मनोनीत किया गया था.

29 मार्च 2000 को जस्टिस बोबडे की बॉम्बे हाई कोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश पद पर नियुक्ति हुई थी. वह 16 अक्टूबर , 2012 को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने. इसके बाद 12 अप्रैल 2013 को प्रमोशन पाकर वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने.

जस्टिस बोबडे महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, मुंबई और महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, नागपुर के चांसलर, नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन भी हैं. 

जस्टिस बोबडे के अब तक के बड़े फैसले

  • अयोध्या रामजम्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद: सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में दूसरी सबसे लंबी सुनवाई (40 दिन) वाले इस मामले में 5 जजों की जिस बेंच ने 9 नवंबर को फैसला सुनाया, उनमें जस्टिस बोबडे भी शामिल थे. सुप्रीम कोर्ट के अस्तित्व में आने के पहले से चल रहे इस राजनीतिक और धार्मिक रूप से संवेदनशील मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक नजीर के तौर पर देखा जाएगा. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की स्थापना 1950 में हुई थी, जबकि अयोध्या मामला पहली बार 1885 में कोर्ट पहुंचा था. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विवादित जमीन हिंदुओं को दी जाए. इसके साथ ही उसने कहा कि केंद्र 3 महीने के अंदर योजना बनाए और मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट का गठन करे, मुस्लिमों (सुन्नी वक्फ बोर्ड) को मस्जिद के लिए दूसरी जगह 5 एकड़ जमीन दी जाए.
  • आधार: जस्टिस बोबडे सुप्रीम कोर्ट की 3 जजों की उस बेंच का हिस्सा थे, जिसने साफ किया था कि अगर किसी नागरिक के पास आधार कार्ड नहीं है तो उसे बुनियादी सेवाओं और सरकारी सब्सिडी से वंचित ना किया जाए.
  • पटाखों की बिक्री पर रोक: सुप्रीम कोर्ट की 3 जजों की बेंच ने साल 2016 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भारी वायु प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए पटाखों की बिक्री और उनके स्टॉक पर रोक लगाने का आदेश दिया था. इस बेंच में जस्टिस टीएस ठाकुर और जस्टिस एके सीकरी के अलावा जस्टिस बोबडे भी शामिल थे.
जस्टिस बोबडे ने उस इन-हाउस कमेटी की अगुवाई भी की थी, जिसने सेक्सुअल हैरसमेंट के मामले में सीजेआई रंजन गोगोई को क्लीन चिट दी थी.

सीजेआई के तौर पर जस्टिस बोबडे के कार्यकाल में सबरीमाला मामले पर भी सुनवाई होनी है. बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने इस मामले के साथ-साथ मुस्लिम महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश और दाऊदी बोहरा समाज में महिलाओं के खतना के मामलों को भी 7 जजों की बेंच के पास भेज दिया. सीजेआई के तौर पर जस्टिस बोबडे की जिम्मेदारी होगी कि वह तय करें कि इस बेंच में कौन-कौन से जज होंगे और मामले पर सुनवाई कब होगी.

इसके अलावा नए सीजेआई बोबडे के कार्यकाल में कश्मीर से जुड़े मामलों सहित और भी कई अहम मामलों के फैसलों पर देश की निगाहें रहेंगी.

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