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सिद्धू की बढ़ सकती है मुश्किल, रोड रेज मामले में SC करेगा सुनवाई

पहले सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया था

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भारत
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30 साल पुराने रोड रेज मामले में सुप्रीम कोर्ट पंजाब के पर्यटन मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को सुनाई गई सजा पर फिर से विचार करने को तैयार हो गया है. इसे सिद्धू के लिए एक झटका माना जा रहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें उन्हें गैर इरादतन हत्या का दोषी पाया गया था और उन्हें 3 साल जेल की सजा सुनाई गई थी. हालांकि कोर्ट ने उन्हें एक सीनियर सिटिजन को चोट पहुंचाने के मामूली अपराध का दोषी पाया था. उन पर आईपीसी की धारा 323 के तहत एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया था.

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मृतक के परिवार के सदस्यों की पुनर्विचार याचिका पर जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजय किशन कौल की एक पीठ गौर करने पर सहमत हो गयी. मामले से संबंधित सिद्धू को नोटिस जारी कर दिया गया है.

जस्टिस जे चेलमेश्वर और जस्टिस कौल की पीठ ने 15 मई को सिद्धू के सहयोगी और आरोपी रूपिंदर सिंह संधू को सभी आरोपों से बरी कर दिया था. आईपीसी की धारा 323 के तहत अधिकतम एक साल जेल की सजा या एक हजार रुपये का जुर्माना या दोनों लगाया जा सकता है.

क्या है मामला?

यह घटना 27 दिसंबर, 1988 की है, जब गुरनाम सिंह, जसविन्दर सिंह और एक दूसरा व्यक्ति किसी शादी समारोह के लिए बैंक से पैसा निकालने जा रहे थे. पटियाला में शेरनवाला गेट क्रॉसिंग के पास एक जिप्सी में सिद्धू और संधू कथित रूप से मौजूद थे. आरोप है कि जब वो क्रॉसिंग पर पहुंचे, तो मारुति कार चला रहे गुरनाम सिंह ने देखा कि जिप्सी बीच सड़क पर खड़ी है. उन्होंने जिप्सी में सवार सिद्धू और संधू से गाड़ी हटाने के लिए कहा, जिसे लेकर दोनों में तकरार हो गई.

पुलिस का दावा है कि सिद्धू ने गुरनाम सिंह की पिटाई की और घटनास्थल से भाग गए. घायल गुरनाम को अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था.

कोर्ट में लटका रहा मामला

इस मामले में निचली अदालत ने सितंबर 1999 में सिद्धू को हत्या के आरोप से बरी कर दिया. लेकिन हाईकोर्ट ने दिसंबर, 2006 में इस फैसले को उलटते हुए सिद्धू और सह आरोपी संधू को गैर इरादतन हत्या का दोषी पाया और उन्हें तीन तीन साल की कैद और एक-एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई.

बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 2007 में सिद्धू और संधू को दोषी ठहराने के फैसले पर रोक लगाते हुए उनके अमृतसर लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव लड़ने का रास्ता साफ कर दिया था.

(इनपुट भाषा से)

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