सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) से बर्खास्त किए गए जवान तेज बहादुर की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने लोकसभा चुनाव 2019 में वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव को चुनौती दी थी. मुख्य न्यायाधीश एस.ए.बोबडे और न्यायाधीश ए.एस.बोपन्ना और वी.रामासुब्रमण्यन ने कहा कि अपील खारिज हो गई है. 18 नवंबर को मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि प्रधानमंत्री कार्यालय एक 'अनूठा कार्यालय' है, इसने बहादुर की याचिका की सुनवाई के दौरान स्थगन देने से इनकार कर दिया था. जबकि बहादुर के वकील ने बार-बार स्थगन की मांग की.
सीजेआई बोबडे ने कहा, "हम इस मामले को अनिश्चित काल तक नहीं सुन सकते. यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम आपकी सुनवाई कर रहे हैं."
मामले की विस्तार से सुनवाई करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रखा था. दरअसल, बहादुर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसने प्रधानमंत्री के खिलाफ उसकी चुनाव याचिका खारिज कर दी थी.
गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में बहादुर का नामांकन पत्र खारिज कर दिया गया था. बहादुर ने सुप्रीम कोर्ट के सामने याचिका दायर करके कहा कि उनके नामांकन पत्र को रिटर्निग अधिकारी ने कथित रूप से भाजपा के दबाव में आकर खारिज किया था. इससे पहले 2017 में सैनिकों को दिए जाने वाले भोजन की कथित खराब गुणवत्ता की शिकायत करने वाला वीडियो जारी करने पर बहादुर को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था.
मामले में वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने मोदी की ओर से केस लड़ा.
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