सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी जल बंटवारे पर अब तक कावेरी प्रबंधन योजना तैयार नहीं करने को गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र से इस योजना को तैयार करने की दिशा में उठाये गये कदमों के बारे में 8 मई तक एफिडेविड दाखिल करने का निर्देश दिया है.
अदालत ने सुनवाई के दौरान जब केंद्र से जवाब मांगा, तो अटॉर्नी जनरल ने पीएम नरेंद्र मोदी के कर्नाटक चुनाव प्रचार में व्यस्त होने का हवाला देते हुए और वक्त मांगा.
तमिलनाडु सरकार ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ के समाने केन्द्र के पक्षपातपूर्ण रवैये की आलोचना की.
कोर्ट ने अपने फैसले में कर्नाटक से तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी को आसानी से पानी देने की योजना बनाने का निर्देश दिया था. पीठ ने अटॉर्नी जनरल से कहा:
‘‘वेणुगोपाल जी, केन्द्र को इस योजना को अंतिम रूप देना होगा और इसे अब तक अंतिम रूप दिया जा चुका होता. इसमें राज्यों की कोई भूमिका नहीं है.’’
'पीएम और अन्य मंत्री चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं'
अटॉर्नी जनरल ने इस योजना के तहत मामले की सुनवाई को कर्नाटक विधानसभा चुनाव खत्म होने तक 10 दिन के लिये स्थगित करने का अनुरोध किया. तर्क ये दिया कि प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के सदस्य चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं.
वेणुगोपाल ने कहा कि योजना के मसौदे को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी चाहिए, लेकिन चुनाव प्रचार की वजह से ऐसा नहीं हो सका है. उन्होंने हाल ही में कर्नाटक के मुख्यमंत्री से मिले पत्र का भी हवाला दिया, जिसमे चारों राज्यों के जल संसाधन मंत्रियों को इस प्रबंधन बोर्ड का सदस्य बनाने पर जोर दिया गया है.
तमिलनाडु तर्कों से खुश नहीं
अटार्नी जनरल के इन तर्कों पर तमिलनाडु की ओर से वरिष्ठ वकील शेखर नफडे ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘यह देश में संघीय सहभागिता और कानून के शासन का अंत है. ये केन्द्र सरकार का कर्नाटक के पक्ष में पक्षपातपूर्ण रवैया है.'' उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह पूरी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं कि केन्द्र राजनीति कर रहा है और वह कोर्ट के आदेश का पालन करने की बजाय कर्नाटक में चुनाव की संभावनाओं को लेकर अधिक चिंतित है.''
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत चार हफ्ते के भीतर ये योजना तैयार की जानी थी, लेकिन इसमें देरी के अलावा कुछ नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि गर्मी में तापमान बढ़ने के अलावा तमिलनाडु में कावेरी जल को लेकर भी पारा गरम हो रहा है. सरकार को समझ में नहीं आ रहा कि वह अपनी जनता से क्या कहे, क्योंकि अभी तक कोई योजना तैयार ही नहीं की गई है.
कोर्ट की फटकार
इस बीच, कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को चेतावनी दी और कहा कि वह जल आपूर्ति के बारे में अपनी गंभीरता साबित करे. न्यायालय ने कहा कि वो खुद ही अवमानना का संज्ञान लेकर राज्य के मुख्य सचिव को पेश होने का आदेश देगा.
कोर्ट ने 16 फरवरी के निर्णय में कर्नाटक का जल हिस्सा 14.75 टीएमसी फुट बढ़ा दिया था और तमिलनाडु का हिस्सा कम कर दिया था.
इसके एवज में तमिलनाडु को नदी के बेसिन से 10 टीएमसी फुट भूजल निकालने की अनुमति देते हुए न्यायालय ने कहा था कि पेय जल को ऊंचे पायदान पर रखना होगा. कोर्ट के इस फैसले के हिसाब से तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और केन्द्र शासित पुडुचेरी राज्य कावेरी नदी से सालाना क्रमश: 404.25 टीएमसी फुट, 284.75 टीएमसी फुट, 30 टीएमसी फुट और सात टीएमसी फुट पानी के हकदार होंगे.
(इनपुट भाषा से)
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