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बेलगाव विवाद: सामना में कर्नाटक सरकार पर हमला- ‘इतिहास समझ लें‘

सामना में लिखा है कि बेलगाव सहित सीमा से जुड़े मराठी लोग सदियों से महाराष्ट्र में आने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं.

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भारत
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बेलगाव को लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक की लड़ाई तेज हो गई है. कर्नाटक के डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी के मुंबई को कर्नाटक में शामिल किए जाने की मांग के बाद, शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में बीजेपी पर हमला बोला है. सामना में लिखा है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की बेलगाव को आदेश आने तक केंद्र प्रशासित घोषित किए जाने की मांग के बाद कर्नाटक के डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी ने हाय-तौबा मचा दी है.

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सामना में लिखा है, “लक्ष्मण सावदी के बयान की तरफ ध्यान देने की जरूरत नहीं है. “मुंबई में भी बहुत सारे कानडी लोग रहते हैं इसलिए मुंबई शहर को कर्नाटक को जोड़ो...” एक बेमतल का बयान है. सावदी ने संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन के 105 शहीदों का अपमान किया है. सावदी बीजेपी नेता हैं. इसपर महाराष्ट्र के बीजेपी नेताओं का क्या कहना है? बेफिजूल बयानबाजी करने वाले ये लोग सावदी के बयान का साधारण निषेध तक व्यक्त करनेवाले हैं कि नहीं? सावदी जैसे लोगों को सीमा लड़ाई का इतिहास समझ लेना चाहिए.”

सामना में आगे हमला करते हुए लिखा है कि बेलगाव सहित सीमा से जुड़े मराठी लोग सदियों से महाराष्ट्र में आने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. सामने में लिखा है कि सीमा भाग, जमीन की लड़ाई होने के साथ-साथ मराठी भाषा, संस्कृति और अस्मिता का जतन करने वाली लड़ाई भी है और ये अधिकार देश के संविधान ने सभी को दिया है.
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सामना में लिखा है कि “इतिहास कहता है कि राज्य पुनर्रचना आयोग ने बेलगाव सहित कारवार, भालकी और नेपानी जैसे असंख्य मराठी भाषी शहरों और गांवों को उनकी इच्छा के विपरीत कर्नाटक में धकेल दिया है. यह लड़ाई मराठी और कानडी की नहीं है. मुंबई सहित महाराष्ट्र में लाखों कानडी बंधु आनंदपूर्वक रहते हैं. वे अपना-अपना धंधा-व्यवसाय कर रहे हैं. सरकारी कृपा से कानडी स्कूल और कानडी संस्थाएं चल रही हैं, लेकिन सीमा भाग के मराठी बंधुओं के संदर्भ में यह एकता का माहौल है क्या? पिछले 60 सालों से उनकी इच्छाओं को पुलिस के दमनचक्र से कुचला जा रहा है.”

सामना में आगे लिखा कि अगर कर्नाटक सरकार मराठी लोगों से इस प्रकार का व्यवहार करेगी तो महाराष्ट्र के सामने ‘सीमा क्षेत्र को केंद्र शासित करो’ की मांग के अलावा कोई विकल्प नहीं रहेगा. 
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सामना में इसी बहाने अर्णब गोस्वामी और कंगना रनौत पर भी हमला किया गया. मुखपत्र में लिखा है, “अर्णब, कंगना जैसे लोगों को सुप्रीम कोर्ट में झटपट न्याय मिल जाता है, लेकिन लाखों मराठी सीमा बंधुओं के आक्रोश और उनके द्वारा बहाए गए खून की पीड़ा कोर्ट को दिखती नहीं क्या?”

सामना में कहा गया है कि इस विवाद में केंद्र को अभिभावक और निष्पक्ष भूमिका लेने की जरूरत है.

महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच लंबे समय से विवाद का कारण बना बेलगाव एक बार फिर सुर्खियों में है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने हाल ही में बयान दिया था कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने तक सीमा से सटे कर्नाटक के मराठी बहुल इलाके को केंद्र शासित घोषित कर दिया जाना चाहिए. इसपर पलटवार करते हुए कर्नाटक के डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी ने कहा था कि मुंबई को कर्नाटक में शामिल कर दिया जाना चाहिए.

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