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सिंघु बॉर्डर पहुंचे दिलजीत दोसांझ, बोले- मुद्दों को ना भटकाया जाए

किसानों के मुद्दे पर कंगना से भिड़े दिलजीत दोसांझ, जमकर बटोरीं सुर्खियां 

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भारत
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केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब और हरियाणा के किसानों ने मोर्चा खोल दिया है. पिछले 10 दिनों से हजारों किसान दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन इन प्रदर्शनों में पंजाब के चमकते सितारों ने भी जान फूंक दी है. तमाम पंजाबी सिंगर्स और एक्टर्स ने इस आंदोलन को अपना खुलकर समर्थन दिया है. इसी बीच किसानों के मुद्दे पर कंगना के साथ तीखी बहस करने वाले जाने माने सिंगर दिलजीत दोसांझ सिंघु बॉर्डर पहुंचे. जहां उन्होंने किसानों को अपना समर्थन दिया और सरकार से कहा कि वो उनका मांगों को जल्द माने.

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दिलजीत दोसांझ पिछले दो दिनों से कंगना रनौत से बहस को लेकर चर्चा में हैं. कंगना ने किसान आंदोलन को लेकर एक ट्वीट किया था, जिस पर दिलजीत दोसांझ ने उन्हें फटकार लगाई. इसके बाद दोनों के बीच लंबी बहस हुई, जिसमें दिलजीत कंगना पर भारी पड़ते दिखे.

कहीं गूगल ट्रांसलेट ना करने पड़े

अब दिलजीत खुद दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर पहुंचे और किसानों के मंच से उनका हौसला बढ़ाने का काम किया. दिलजीत ने मंच से हरियाणा और पंजाब के सभी किसानों को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि ये बहुत बड़ी बात है और ये कहानियां आगे तक सुनाई जाएंगीं. दिलजीत ने सरकार से कहा कि,

सरकार से मेरी इतनी गुजारिश है कि जो भी किसान चाहते हैं उनकी मांगों को पूरा करें. इस दौरान दिलजीत ने पंजाबी में बातचीत की, लेकिन कंगना पर चल रहे मीम को लेकर उन्होंने एक तंज कसते हुए कहा कि अब मैं हिंदी में भी बोल लेता हूं, कहीं किसी को गूगल ट्रांसलेट न करना पड़े. इसके बाद दिलजीत ने कहा,

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“अगर आप हमें सुन रहे हैं तो यहां किसान के अलावा कोई भी बात नहीं हो रही है. मुद्दों को नहीं भटकाया जाए. किसान जो भी चाहते हैं, सरकार उनकी मांगो को मानें. सब यहां शांतिपूर्ण तरीके से बैठे हैं. ट्विटर पर लोग घुमाते हैं. हम नेशनल मीडिया से भी कहते हैं कि यही दिखाएं कि हम शांतिपूर्ण तरीके से बैठे हैं. पूरे देश हमारा साथ दे और सरकार हमारी मांगे माने.”
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बता दें कि केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. इसे लेकर लगातार केंद्र सरकार से बातचीत का दौर भी जारी है. उम्मीद है कि जल्द किसानों के मसले का हल निकलेगा. हालांकि किसानों का कहना है कि वो इन कानूनों को रद्द करवाना चाहते हैं. लेकिन सरकार संशोधन की तरफ देख रही है.

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