केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नागरिकता कानून पर जनमत संग्रह कराने वाले बयान को संसद का अपमान बताया है. स्मृति ईरानी ने कहा कि ये संसद का अपमान है और कोई भी उनके इस बयान से सहमत नहीं होगा.
‘ये बयान भारतीय संसद का अपमान है. इस कानून को संसद ने पास किया. मुख्यमंत्री का बयान देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला है और देश का कोई भी नागरिक उनके विचारों से सहमत नहीं होगा.’स्मृति ईरानी, केंद्रीय मंत्री
ममता बनर्जी के इस बयान की बीजेपी नेताओं ने आलोचना की है. केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने ममता बनर्जी पर हमला बोलते हुए कहा था कि ऐसे बयान दे कर वो अपना मजाक बनवा रही हैं. सुप्रियो ने कहा था, 'क्या उन्हें अंदाजा है वो क्या कह रही हैं? वो अपना मजाक बनवाना बंद करें. मुझे लगता है कि उनके सलाहकारों ने उन्हें अच्छी सलाह देना बंद कर दिया है.'
ममता बनर्जी ने नागरिकता कानून का विरोध करते हुए कहा था कि इसपर संयुक्त राष्ट्र या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जैसे निष्पक्ष संगठन की देखरेख में जनमत संग्रह होना चाहिए.
लाश से गुजरकर लागू होगा नागरिकता कानून
ममता बनर्जी शुरू से ही नागरिकता कानून का विरोध कर रही हैं. वो साफ कर चुकी हैं कि पश्चिम बंगाल में नागरिकता कानून लागू नहीं होगा. कोलकाता में 19 दिसंबर को कोलकाता में ममता बनर्जी ने नागरिकता कानून पर जनमत संग्रह कराने को कहा था.
इससे पहले उन्होंने एक बयान में कहा था, ‘आप मेरी सरकार हटाना चाहते हैं तो हटा सकते हैं लेकिन मैं बंगाल में नागरिकता कानून को कभी मंजूरी नहीं दूंगी. अगर वो कानून लागू करना चाहते हैं तो उन्हें मेरी लाश से गुजरकर करना होगा .’
क्या है नागरिकता संशोधन कानून 2019?
ये कानून सिटिजनशिप एक्ट, 1955 में संशोधन करता है. इस एक्ट के तहत कोई भी ऐसा व्यक्ति भारतीय नागरिकता हासिल कर सकता है जो भारत में जन्मा हो या जिसके माता/पिता भारतीय हों या फिर वह एक तय समय के लिए भारत में रहा हो. एक्ट में नागरिकता देने के और भी प्रावधान हैं. यह एक्ट अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने से रोकता है.
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