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50% पुलिसकर्मी मानते हैं अपराध की तरफ मुस्लिमों का झुकाव:रिपोर्ट

43 फीसदी पुलिसकर्मी सोचते हैं कि रेप के आरोपी को भीड़ द्वारा सजा देना स्वभाविक बात है

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हर 2 पुलिसकर्मी में से एक को लगता है कि मुस्लिम स्वाभाविक तौर पर ही अपराध की तरफ अग्रसर हो सकते हैं. यह बात स्टेट ऑफ पुलिसिंग इन इंडिया रिपोर्ट 2019 में कही गई है.

इस रिपोर्ट को NGO कॉमन कॉज और सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डिवेलपिंग सोसाइटीज (CSDS) के लोकनीति प्रोगाम ने तैयार किया है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जे चेलमेश्वर ने 27 अगस्त को यह रिपोर्ट जारी की.

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स्टेट ऑफ पुलिसिंग इन इंडिया रिपोर्ट 2019, 21 राज्यों में 12000 पुलिसकर्मियों और उनके परिवार के करीब 11000 सदस्यों के इंटरव्यू पर आधारित है.

स्टेट ऑफ पुलिसिंग इन इंडिया रिपोर्ट 2019 की बड़ी बातें

  • 35 फीसदी पुलिसकर्मियों को लगता है कि गोहत्या के मामलों में भीड़ द्वारा 'दोषियों' को सजा देना स्वाभाविक होता है
  • 43 फीसदी पुलिसकर्मी सोचते हैं कि रेप के आरोपी को भीड़ द्वारा सजा देना स्वाभाविक बात है
  • 37 फीसदी पुलिसकर्मी दूसरे प्रोफेशन के लिए अपनी नौकरी छोड़ने को तैयार हैं
  • 5 में से 2 पुलिसकर्मियों को लगता है कि अपराध की जांच में पुलिस पर दबाव (अलग-अलग जगह से) सबसे बड़ी बाधा होता है
  • SC/ST पुलिसकर्मियों को यह बात ज्यादा लगती है कि सीनियर अधिकारी जूनियर्स से अपने निजी/घरेलू काम करने को कहते हैं
  • ज्यादातर पुलिसकर्मी हर दिन 8 घंटे से ज्यादा काम करते हैं
  • हर 5 में से 2 पुलिसकर्मियों को लगता है कि आम लोग पुलिस से संपर्क करने में हिचकते हैं, भले ही उन्हें पुलिस की जरूरत हो
  • हर 5 में से 4 पुलिसकर्मियों को लगता है कि अपराध स्वीकार कराने के लिए पुलिस द्वारा अपराधियों को पीटना गलत नहीं होता
  • हर 5 में से एक पुलिसकर्मी को लगता है कि खतरनाक अपराधियों के लीगल ट्रायल से अच्छा उनको मार देना है
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