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आज के जमाने की नई तंबाकू, जानें क्यों जानलेवा है शुगर

शुगर के सेवन से गंभीर बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है, जिसमें दिल की बीमारियों के केस सबसे ज्यादा हैं.

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भारत
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शुगर भी तंबाकू की तरह अब एक नया जहर बन चुका है, जोकि स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, शुगर का शरीर में मौजूद हार्मोन्स, शारीरिक क्षमता और पाचन क्रिया पर खतरनाक असर पड़ता है.

लेकिन हमारे देश में शुगर इंडस्ट्रीज को पॉवरफुल लॉबीज का समर्थन हासिल है. पिछले दशक में एक अमेरिकी साइंटिस्ट गैरी टयू्वस ने अपनी किताब में शुगर द्वारा होने वाली बीमारियों का वर्णन किया, जिसमें मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारियां भी शामिल हैं.

वैज्ञानिक रिसर्च द्वारा ये प्रमाणित किया गया है कि शुगर के सेवन से गंभीर बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है, जिसमें दिल की बीमारियों के केस सबसे ज्यादा हैं.

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चीन में 20वीं सदी में डायबिटीज के मरीजों की संख्या न के बराबर थी. लेकिन मौजूदा समय में करीब 11.6 फीसदी युवा डायबिटीज की समस्या से पीड़ित हैं.

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धीरे-धीरे 11वीं सदी का ये बेहतरीन प्रोडक्ट 19वीं सदी तक आते-आते एक चीप प्रोडक्ट में तब्दील हो चुका था. खूबसूरत पैकिंग और ब्रांडिंग ने क्वालिटी को बहुत पीछे छोड़ दिया. लिहाजा अब खूबसूरत पैकिंग्स में मौजूद खाने-पीने की चींजें जहर से कम नहीं हैं.

यहां तक की सिगरेट भी जाहिर तौर पर कम परेशान करने वाला धुंआ पैदा करती हैं.

1990 के दशक में लंदन के पोषण विशेषज्ञ जॉन युडकीन द्वारा ये कहा गया था कि मोटापा,हृदय रोग और डायबिटीज की प्रमुख वजह शुगर का सेवन है. लेकिन जॉन इस रिसर्च के पुख्ता सबूत पेश नहीं कर पाए थे और उनकी इस रिसर्च को अमेरिका के एंसल कीज ने साफ नकार दिया था.

आज पूरी दुनिया में लोग शुगर से होने वाली बीमारियों को लेकर जागरुक हो रहे हैं, जिसके चलते वर्ल्ड हैल्थ आर्गेनाइजेशन ने भी सभी देशों से शुगर वाले ड्रिंक्स पर टैक्स लगाने का अनुरोध किया. मेक्सिको इस टैक्स को साल 2013 में लगा चुका है और अमेरिका, फिलाडेल्फिया और सैन फ्रांसिस्को इसे जल्द ही लागू करने वाले हैं जबकि ब्रिटेन इस टेक्स को साल 2018 में लागू करेगा.

फूड एंड एग्रीकल्चरल आर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत शुगर की पैदावार करने वाला दूसरा सबसे बढ़ा देश है. साल 2015 में भारत में करीब 3,41,200 हजार मीट्रिक टन शुगर का उत्पादन हुआ.

साल 2013 में भारत में लगभग 60 करोड़ डायबिटीज के मरीज पाए गए थे, जिसके चलते पोषण विशेषज्ञों ने भारी चिंता जताते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से मीठे सोफ्ट ड्रिंक्स और पैक्ड फूड पर कानून बनाने की मांग की थी, जिस पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है.

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