आबादी में बदलाव से विभाजन रेखाएं खिंचेंगी, तैयार रहे सरकार
टीएन नाइनन बिजनेस स्टैंडर्ड में लिखते हैं कि भविष्य में भारत की आबादी की तस्वीर बता रही है कि देश में कई तरह की विभाजन रेखाएं खिंचने वाली हैं. इस लिहाज से सरकार को अभी से सक्रिय होने की जरूरत है. जनसंख्या पर राष्ट्रीय आयोग की तकनीकी समिति के मुताबिक मार्च 2021 तक भारत की जनसंख्या 1.36 अरब हो जाएगी. 2011-21 के दशक में 15 करोड़ की आबादी बढ़ जाएगी जो 1971-81 के दशक के मुकाबले कम है. प्रतिशत रूप में पिछले दशक के मुकाबले 12.5 फीसदी जनसंख्या में बढ़ोतरी दिख रही है जो विगत दशक के मुकाबले करीब आधा है.
प्रति महिला जन्मदर भी 2.2 से गिरने जा रही है. यह भी महत्वपूर्ण बात है कि चीन की आबादी को भारत इस दशक में पीछे नहीं छोड़ रहा है. संशोधित अनुमान के मुताबिक भारत की आबादी 2060 तक 1.65 अरब रहने वाली है. जन्म दर कम होने की घटना के बीच स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या भी 25 लाख से कम रहने वाली है. वहीं सीनियर सिटिजन की संख्या तेजी से बढ़ेगी.
जाहिर है हमें स्कूलों के बजाए अस्पताल, ओल्ड एज होम की जरूरत अधिक होगी. तकनीकी समिति के मुताबिक 2011 से आगे 25 साल में बिहार में जो आबादी बढ़ेगी वह पूरे दक्षिण भारत में बढ़ने वाली आबादी के मुकाबले 50 फीसदी अधिक होगी. बिहार-यूपी की आबादी इस अवधि में 25 से 30 फीसदी बढ़ेगी. जनसंख्या और आमदनी बढ़ने वाले राज्य या राज्यसमूह अलग-अलग होंगे. इससे तकराव बढ़ेगा.
कोविड काल में ओरल क्रिकेट की याद
रामचंद्र गुहा द टेलीग्राफ में कोविड-19 के दौरान इंग्लैंड में क्रिकेट मैच के आयोजन पर संतोष जताते हैं. लिखते हैं कि दूसरे विश्वयुद्ध के बाद क्रिकेट नहीं होने का ख़तरा टल गया. कोरोना की स्थिति में सुधार के बाद इंग्लैंड में वेस्टइंडीज और पाकिस्तान टीम के दौरे हुए. इस तरह मैदान पर कम दर्शक होने के बावजूद मैदान से बाहर टीवी स्क्रीन पर दर्शकों की भारी संख्या उमड़ी और लोगों ने क्रिकेट का आनंद लिया. इंग्लैंड ने दोनों सीरीज़ बहुत आसानी से जीता. जिम्मी एंडर्सन ने टेस्ट क्रिकेट में 600 विकेट लेकर पहले ऐसे तेज गेंदबाज बने जिन्होंने यह मुकाम हासिल किया.
रामचंद्र गुहा लिखते हैं कि उनके लिए यह अच्छा था कि इसमें भारत नहीं खेल रहा था. लिहाजा देशभक्ति और भारत के लिए जीत की कामना से अलग वे तटस्थ होकर क्रिकेट का आनंद उठा रहे थे. समय भी कुछ ऐसा था कि काम करते हुए खेल का आनंद लेना संभव हो पा रहा था.
माइकल आर्थटन, माइकल होल्डिंग और शेन वार्न के रूप में तीन अलग-अलग देशों के महान खिलाड़ियों की कमेंट्री इस मौके को और यादगार बना रही थी. तीनों के अनुभवों को देखें तो करीब 40 साल का अनुभव ये साझा कर रहे थे. लेखक ने उन दिनों को याद किया जब ओरल क्रिकेट में उनका मन लगता था. रेडियो पर कमेंट्री सुनने का क्रेज अलग था. लेखक ने सिर्फ
कपिल देव के नेतृत्व में जीते गये वर्ल्ड कप को छोड़कर इंग्लैंड में क्रिकेट के हर सीरीज का आनंद लिया है. वे बताते हैं कि एस वेंकट राघवन का बॉलिंग एक्शन देखते ही बनता था. वेस्टइंडीज के बल्लेबाजों की बल्लेबाजी को भी वे याद करते हैं. कोरोना काल में क्रिकेट देखने का यह अनुभव उनके लिए बहुत रोमांचक रहा.
कोविडियट से लेकर जूम तक, नयी शब्दावली विकसित हुई
डेरेक ओ ब्रायन ने द टेलीग्राफ में कोरोना काल खत्म होने को लेकर बरकरार संशय पर लिखा है कि किसी को नहीं पता कि दुर्गा पूजा, दिवाली या फिर क्रिसमस यानी कब तक यह खत्म होगा. लेकिन इस दौर में कई तरह का कौशल हमने सीखा है. पूरी तरह से नयी जिन्दगी की ओर हम बढ़ चले हैं. वे बताते हैं N95 मास्क धूल से हमारी रक्षा करती है. N का मतलब वे बताते हैं नॉन रेजिस्टेंट टु ऑयल और मास्क का इस्तेमाल तेल मुक्त वातावरण के लिए होता है. इस तरह यह 95 फीसदी या उससे ज्यादा हवा को फिल्टर करता है.
ब्रायन लिखते हैं कि Zoom एक ऐसा ब्रांड है जो अब क्रिया बन चुका है. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, टीचिंग, जॉब इंटरव्यू, क्लासरूम सबके लिए यह एक वर्ब यानी क्रिया बन चुका है. Covidiot उन लोगों के लिए बना शब्द है जो कोरोना के नियमों का पालन नहीं करते.
इसी तरह माइग्रेंट वर्कर्स कहते ही ऐसे लोगों की याद जेहन में ताजा हो जाती है जो तमाम परेशानियां झेलकर सैकड़ों मील तक पैदल चलते हुए अपने-अपने घरों को लौटता है. सोशल और फिजिकल डिस्टेंसिंग कोरोना काल में एक-दूसरे से दूरी बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले शब्द बन चुके हैं. एक नया शब्द आया है इन्फोडेमिक. इसका मतलब है कि गलत सूचनाओं की बाढ़. ह्वाट्स एप यूनिवर्सिटी इन्फोडेमिक होकर अपनी पहचान बना रहे हैं. डूमस्क्रॉलिंग शब्द उनके लिए हैं जो बैड न्यूज के लिए ही सर्फ और स्क्रॉल करते हैं और हमेशा उदास रहते हैं.
स्विंग के सुल्तान एंडरसन
शामिक चक्रवर्ती द फाइनेंशियल एक्सप्रेस में लिखते हैं कि तेज गेंदबाजों के सुल्तान बन गये हैं जेम्स एंडरसन जिन्होंने अपना 600वां टेस्ट विकेट लिया है. इंग्लैंड के लिए ऐसा कारनाम कर दिखाने वाले पहले तेज गेंदबाज हैं और यह उपलब्धि विश्वस्तर पर भी है. पाकिस्तान के कप्तान अजहर अली को आउट करते हुए उन्होंने यह उपलब्धि हासिल कर ली. एंडरसन ने अपनी उम्र के 30 से 38 साल के दौरान 336 विकेट लिए.
यॉर्कशायर की ओर से खेलने वाले एंडरसन ने 67 टेस्ट खेले हैं. 15,178 गेंद फेंकते हुए उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है. 2017 में ही क्रिकेट छोड़ने का इरादा जता चुके एंडरसन 2021-22 में ऑस्ट्रेलिया के साथ सीरीज की ओर भी आंखें गडाए बैठे हैं. 2012-13 में भारत में हुई टेस्ट सीरीज के दौरान एंडरसन ने 12 विकेट लिए थे और कोलकाता के ईडन-गार्डेन के मैदान पर सचिन तेंदुलकर का जो विकेट लिया था वो बहुत शानदार था. क्रिकेट करियर में दर्द से भी परेशान रहे हैं एंडरसन. इस बारे में उन्होंने टेलीग्राफ में लिखे अपने एक लेख में विस्तार से बताया था.
बीजेपी अमेजन है तो कांग्रेस लालाजी की दुकान!
चेतन भगत ने द टाइम्स ऑफ इंडिया में लिखा है कि वे यह नहीं बताएंगे कि कांग्रेस का उद्धार कैसे होगा क्योंकि ऐसी उम्मीद जगाने पर लोग उन पर हंसेंगे. फिर भी लेखक का कहना है कि कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक के बाद यह तो सीखा जा ही सकता है कि किसी नेता क्या नहीं करना चाहिए. ऐसे 10 सलाहों की सूची तैयार करते हुए चेतन भगत लिखते हैं कि एक नेता को कभी अपने से छोटे नेताओं पर आरोप नहीं लगाना चाहिए. उनकी बात सुननी चाहिए. कांग्रेस अध्यक्ष का इस्तीफा और फिर इस्तीफा वापस ले लेना- ऐसी स्थिति से पार्टी को बचना चाहिए. नेताओं को पार्टी का समय नहीं खराब करना चाहिए. अनुपयोगी मीटिंग कतई ना करें.
चेतन भगत लिखते हैं कि बीजेपी अमेजॉन की तरह ग्रो कर रही है लेकिन भारत में कांग्रेस लालाजी की दुकान चला रही है. सीख यह भी लेने की जरूरत है कि आपके मुंह से कोई गलत बात निकली कि नहीं इसका फायदा उठाने में बीजेपी लग जाती है.
चेतन लिखते हैं कि एक नेता कभी भी अपने वोटरों को नहीं भूलना चाहे. एक नेता को पूरी तरह समर्पित होना चाहिए. अपने ईर्द-गिर्द घिरे चमचों से दूर रहना चाहिए. आपमें सबको बांध कर रखने की क्षमता है इसका प्रदर्शन भी नेताओं को करना चाहिए. आखिर प्वाइंट यह है कि कांग्रेस में सेल्फिश की संख्या बढ़ गयी है ऐसा बीजेपी के नेता दावा कर रहे हैं.
भारतीय अमेरिकियों के लिए 2020 का चुनाव अहम
हिन्दुस्तान टाइम्स में यशवंत राज लिखते हैं कि भारतीय अमेरिकियों के लिए 2020 का साल महत्वपूर्ण होने जा रहा है. कमला हैरिस वाइस प्रेज़िडेंट की उम्मीदवार हैं. डोनाल्ड ट्रंप ने हाल में ही कहा है कि वे कमला हिस के मुकाबले अधिक इंडियन हैं. ट्रंप की ओर से ‘हाऊडी मोदी’ और ‘नमस्ते ट्रंप’ से जुड़ा वीडियो भी साझा किया जा रहा है. अमेरिका में डेमोक्रैट भारतीयों के प्रति नरम रुख रखते रहे हैं. मगर, ट्रंप और मोदी के बीच केमिस्ट्री से रिपब्लिकन को उम्मीद है.
लेखक का मानना है कि अमेरिकी भारतीय राजनीतिक रूप से बहुत विनम्र हैं. अमेरिका में इंडियन अमेरिका को समोसा कॉकस भी कहा जाता है. कहा जा रहा है कि ट्रंप और बाइन के कैम्पेन शुरू करने का बड़ा असर देखने को मिल सकता है. 2020 बहुत महत्वपूर्ण है. अमेरिका में 1.8 करोड़ भारतीय वोटर हैं. कई जगहों पर मुकाबला कड़ा है. डेमोक्रैट की नज़र 1.3 अरब भारतीयों पर गड़ी हुई है. भारतीय अमेरिका स्वाभाविक रूप से डेमोक्रैट के पक्ष में रहे हैं. देखना यह है कि ट्रंप के आगे कितना लाचार नज़र आती है पुलिस.
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