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हैदराबाद: हुसैन सागर झील में आखिरी बार मूर्ति विसर्जन को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी

Solicitor General तुषार मेहता ने अदालत को यह आश्वासन दिया है कि मूर्ति विर्सजन के दौरान प्रदूषण नहीं होगा.

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को तेलंगाना सरकार के अधिकारियों को हुसैन सागर झील (Hussain Sagar lake) में प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) से बनी भगवान ‘गणेश की प्रतिमाओं' के ‘‘आखिरी बार'' विसर्जन की अनुमति दे दी. मुख्य न्यायाधीश (CJI) एन वी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की बेंच ने कहा कि हैदराबाद शहर में यह बार-बार आने वाली समस्या है और कई निर्देश देने के बावजूद राज्य सरकार ने वहां मूर्तियों के विसर्जन पर रोक और प्रदूषण पर लगाम लगाने के तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया.

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तेलंगाना सरकार ने अदालत को दिया आश्वासन

तेलंगाना राज्य की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने अदालत को यह आश्वासन दिया है कि मूर्ति विर्सजन के दौरान प्रदूषण नहीं होगा.

मेहता ने कहा झील प्रदूषित न हो इसके लिए कड़े कदम उठाए गए हैं और विर्सजन के तुरंत बाद मूर्तियों को तुरंत क्रेन द्वारा उठा लिया जाएगा. सीजेआई एनवी रमना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ तेलंगाना उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

पीठ ने दर्ज किया, "दुर्भाग्य से हैदराबाद में यह एक आवर्ती समस्या हो रही है. अदालत द्वारा दिए गए कई निर्देशों के बावजूद, सरकार ने सभी निर्देशों का पालन नहीं किया है और हर साल झील में विसर्जन हो रहा है जो प्रदूषण पैदा कर रहा है.

पीठ ने अगले साल के लिए शपथ पत्र देने का निर्देश देते हुए कहा, ‘‘दलीलों पर गौर करते हुए हम इस बार आखिरी बार इस झील को मूर्तियों के विसर्जन के लिए इस्तेमाल की अनुमति देते हैं.'' तेलंगाना हाईकोर्ट ने 13 सितंबर को हुसैन सागर झील तथा शहर में ऐसे अन्य जलाशयों में पीओपी से बनी गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन पर रोक लगाने के अपने आदेश में सुधार करने से इनकार कर दिया था.

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